मुजफ्फरपुर (बिहार):- मुजफ्फरपुर जिले के बाढ़ पीड़ितों ने अपनी मांगों को लेकर नेशनल हाईवे NH-77 पर जोरदार हंगामा किया और सड़क को जाम कर दिया। घटना औराई थानाक्षेत्र के बेदौल ओपी क्षेत्र स्थित गोपालपुर के पास की है। बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित ग्रामीणों ने तीन घंटे तक NH-77 को जाम रखा, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक के बाद स्थिति बिगड़ गई, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया। इस दौरान गोली चलने की बात भी सामने आई, पर इसे अफवाह माना जा रहा है।
बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं और जाम का कारण
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि वे कई दिनों से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं, लेकिन प्रशासन से उन्हें किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है। न तो भोजन-पानी की व्यवस्था है, न ही पशुओं के लिए चारा और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और क्षेत्र में राहत कार्यों की कमी से नाराज होकर ग्रामीणों ने इस विरोध प्रदर्शन का रास्ता चुना। उनकी मांग है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजा और राहत सामग्री जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक
वहीं, जाम की सूचना मिलने पर औराई थाना पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिससे हालात और बिगड़ गए। ग्रामीण एसपी विद्या सागर ने बताया कि जाम हटाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और स्थिति को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया गया।
फायरिंग की अफवाहों को लेकर पुलिस का खंडन
हंगामे के बीच फायरिंग की खबरें भी सामने आईं, लेकिन पुलिस ने इस बात से इनकार कर दिया। एसपी विद्या सागर ने स्पष्ट किया कि केवल हल्का बल प्रयोग किया गया और किसी प्रकार की फायरिंग नहीं की गई। उनका कहना था कि स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक कदम उठाया गया था, ताकि आवागमन बहाल हो सके।
मौके पर स्थिति हुई सामान्य
लाठीचार्ज के बाद स्थिति सामान्य हुई और करीब तीन घंटे बाद NH-77 को फिर से चालू कर दिया गया। हालांकि, ग्रामीणों का असंतोष अभी भी बना हुआ है और वे प्रशासन से जल्द से जल्द राहत और मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। यह घटना प्रशासन और बाढ़ पीड़ितों के बीच बढ़ते असंतोष का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की आवश्यकता कितनी जरूरी है।