चंडीगढ़ (पंजाब):- उत्तर भारत के राज्यों में भीषण गर्मी ने इस साल सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, और पंजाब इसका ताजा उदाहरण बन गया है। प्रदेश के बठिंडा, फरीदकोट, मोगा और फिरोजपुर जैसे जिलों में लू की स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है। बठिंडा में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया, जो इस मौसम में बेहद खतरनाक माना जाता है।
प्रदेश के अस्पतालों में गर्मी से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और ब्लड प्रेशर की समस्याओं से ग्रसित मरीजों की कतारें लंबी होती जा रही हैं। खासकर बुजुर्ग, बच्चे और बाहर काम करने वाले मजदूर सबसे अधिक प्रभावित हैं। ऐसे हालात में प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास फिलहाल नाकाफी नजर आ रहे हैं।
गर्मी का प्रकोप इतना अधिक है कि दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। बाजारों में रौनक कम हो गई है और लोग मजबूरी में ही बाहर निकल रहे हैं। स्कूलों में छुट्टियों की अवधि बढ़ाने की मांग भी अभिभावकों द्वारा की जा रही है, ताकि बच्चों को लू से बचाया जा सके। सरकारी दफ्तरों में भी उपस्थिति पर असर पड़ा है और कई स्थानों पर कामकाज धीमा हो गया है।
हालांकि राहत की बात यह रही कि बुधवार शाम को प्रदेश के कुछ हिस्सों में बादल छा गए और हल्की बूँदाबाँदी भी दर्ज की गई। इससे तापमान में कुछ गिरावट देखने को मिली, लेकिन यह राहत अस्थायी रही। मौसम विभाग के अनुसार, पंजाब में अगले कुछ दिनों तक तापमान में कोई खास गिरावट नहीं आएगी। लू की स्थिति बनी रह सकती है।
अब सवाल यह है कि मानसून कब दस्तक देगा? भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में समय पर दस्तक दे दी है और धीरे-धीरे उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। अनुमान है कि पंजाब में मानसून 25 जून के आसपास पहुंचेगा। हालांकि तब तक लोगों को गर्मी से जूझते रहना पड़ेगा।
इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी का स्वरूप अब खतरनाक होता जा रहा है। पहले जहां मई और जून की गर्मी कुछ हद तक सहनीय होती थी, वहीं अब यह सीधे जानलेवा बनती जा रही है। ऐसे में लोगों को खुद भी सतर्क रहने की जरूरत है – बाहर निकलते समय छाता या टोपी पहनें, खूब पानी पिएं, हल्के और सूती कपड़े पहनें और जरूरी न हो तो दोपहर में बाहर निकलने से बचें।
सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि गर्मी से प्रभावित लोगों के लिए पर्याप्त पेयजल की व्यवस्था, मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और जागरूकता अभियान चलाए, ताकि इस आपदा से और अधिक जानें न जाएं।