इजरायल:- इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील करने के बाद, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ अकेले ही मोर्चा खोल दिया है। यह हमला अचानक नहीं हुआ है, बल्कि दो दशकों की चिंताओं और चेतावनियों के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजरायल ने हमेशा एक गंभीर खतरा माना है।
नेतन्याहू लंबे समय से वैश्विक मंचों पर यह बात दोहराते रहे हैं कि ईरान का बढ़ता परमाणु शक्ति का विस्तार न केवल इजरायल, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिकी कांग्रेस तक, उन्होंने बार-बार अपील की कि इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएं। लेकिन जब यह प्रयास असफल साबित हुए और कूटनीति की सीमाएं नजर आने लगीं, तो नेतन्याहू ने यह संदेश साफ कर दिया कि यदि दुनिया चुप है, तो इजरायल चुप नहीं रहेगा।
इस कार्रवाई के पीछे इजरायल का तर्क साफ है—देश की सुरक्षा और अस्तित्व की रक्षा। इजरायल सरकार का कहना है कि ईरान की ओर से बढ़ते परमाणु खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। तेहरान द्वारा बार-बार यूरेनियम संवर्धन बढ़ाने की खबरें और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को सीमित पहुंच देना इजरायल के लिए यह संकेत था कि समय अब अधिक नहीं बचा है।
इस हमले से न केवल क्षेत्रीय भू-राजनीति पर असर पड़ा है, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें अब मध्य पूर्व पर टिक गई हैं। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप जैसे बड़े देशों की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। कुछ देश इजरायल की इस एकतरफा कार्रवाई को खतरनाक बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे आत्मरक्षा का अधिकार मानकर समर्थन कर रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि क्या यह कदम स्थायी समाधान की ओर बढ़ेगा या एक और लम्बी जंग की शुरुआत करेगा? इतिहास गवाह है कि इस तरह की कार्रवाइयां अक्सर जवाबी हमले और लंबे संघर्ष को जन्म देती हैं। ईरान पहले ही इस हमले की निंदा कर चुका है और बदले की चेतावनी दी है।
नेतन्याहू के इस फैसले को इजरायल में भी मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। जहां एक ओर कुछ नागरिक प्रधानमंत्री की साहसिक नीति की सराहना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ वर्गों में चिंता भी गहराई है कि यह कदम देश को एक बड़ी जंग में झोंक सकता है।
फिलहाल स्थिति बेहद संवेदनशील है। अब देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बार सक्रिय होता है या फिर एक और लम्बे संघर्ष को जन्म देता है। लेकिन एक बात स्पष्ट है – नेतन्याहू अब सिर्फ बात नहीं कर रहे, वह कार्रवाई के मोड में आ चुके हैं।