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अहमदाबाद विमान हादसा: 265 लोगों की दर्दनाक मौत, जांच के घेरे में एयरलाइन और सुरक्षा प्रणाली

(अहमदाबाद)गुजरात :- अहमदाबाद में हुआ विमान हादसा भारत के विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गया है। इस भीषण दुर्घटना में 265 यात्रियों की जान चली गई, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं घटनास्थल का दौरा किया और मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। हादसे के बाद मलबे से लगातार शव निकाले जा रहे हैं और मृतकों की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है।

यह हादसा एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान के साथ हुआ जो लंदन से अहमदाबाद के लिए उड़ान भर रहा था। विमान में कुल 278 लोग सवार थे, जिनमें से केवल कुछ ही लोग बच पाए हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, विमान लैंडिंग से कुछ मिनट पहले अनियंत्रित होकर जमीन से टकरा गया और उसमें जोरदार विस्फोट हो गया। आग इतनी तेजी से फैली कि कई यात्रियों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला।

अब तक की जांच में सामने आया है कि विमान के अंतिम कुछ मिनटों में कॉकपिट से कोई आपातकालीन संदेश नहीं भेजा गया था। हालांकि, ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है और उसे विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण के लिए भेजा गया है। इससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हादसे से ठीक पहले विमान में क्या तकनीकी गड़बड़ी हुई थी या पायलट की तरफ से कोई गलती हुई।

सरकार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति तकनीकी, ऑपरेशनल और सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से जांच करेगी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर इंडिया और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) से भी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

इस हादसे के बाद पूरे देश में एयरलाइनों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। क्या विमान नियमित मेंटेनेंस में कोई चूक हुई? क्या मौसम की जानकारी समय पर पायलट को दी गई थी? क्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने सही मार्गदर्शन किया? ये सभी सवाल अब जांच के दायरे में हैं।

वहीं, पीड़ित परिवारों की हालत बेहद दयनीय है। कई परिवारों के पूरे सदस्य इस हादसे में खत्म हो गए हैं। एयरपोर्ट और अस्पतालों के बाहर लोगों की भीड़ लगी हुई है जो अपने परिजनों की तलाश में भटक रही है। सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की है और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

यह हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता की चेतावनी है, बल्कि भारत के विमानन तंत्र को आत्मनिरीक्षण का मौका भी है। क्या हमारे पायलटों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है? क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है? इन सभी सवालों के जवाब इस जांच के जरिए सामने आने की उम्मीद है।

फिलहाल, देश शोक में डूबा है और हर कोई यही दुआ कर रहा है कि ऐसा हादसा फिर कभी न हो।

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