मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश):- मुजफ्फरनगर के टिटोरा गांव में दलित तबके के छात्र को आईआईटी संस्थान में दाखिले के लिए प्रार्थनाओं का दौर जारी है। वंचित समाज से आने वाले लड़के को आर्थिक अभाव के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। लड़के का दाखिला आईआईटी-आईएसएम धनबाद में हुआ था लेकिन वह फीस जमा नहीं कर पाया।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव में लोग उम्मीद का दीया जलाए हुए हैं। मेधावी दलित छात्र ने आईआईटी जैसी कठिन परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन उसकी गरीबी मेधा के आगे बाधक बनती दिख रही है। आज 18 वर्षीय दलित छात्र अतुल कुमार की कहानी मुजफ्फरनगर के टिटोरा गांव में गूंज रही है। दिल्ली से करीब 100 किलोमीटर दूर इस गांव में हलचल बढ़ी हुई है। राष्ट्रीय राजधानी को व्यस्त मुजफ्फरनगर से जोड़ने वाले एनएच-58 से थोड़ी ही दूरी पर होने के बावजूद टिटोरा एक रहस्य की तरह बना हुआ है। सड़कें धूल से भरी हुई दिखती हैं। गूगल मैप ऐप अटकते और रुकते हैं। यहां अगर किसी से मिलना है तो आपको पुरानी नेविगेशन तकनीक यानी लोगों से पता पूछने को ही अपनाना पड़ेगा।
टिटोरा गांव में पहुंचते ही लोगों का रिएक्शन खास होता है। गांव के लोगों के चेहरे पर गर्व की झलक दिखती है। अतुल के घर को ढूंढना आसान है। राहगीर पूछते हैं कि ओह, आईआईटी के लड़कों वाला परिवार। टिटोरा में अब अतुल की जीत, उसकी निराशा और सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई उम्मीद की किरण के बारे में चर्चा हर चाय की दुकान और गांव के चौराहे पर हो रही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को अतुल की याचिका पर सुनवाई की थी।