कोलकाता (पश्चिम बंगाल):- आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष अब अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लिख सकेंगे। वे किसी को प्रिस्क्रिप्शन भी नहीं लिख सकते। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने संदीप का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है।
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल की कार्रवाई
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने संदीप का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। इस संबंध में गुरुवार को अधिसूचना जारी की गई। आरजी कर अस्पताल हत्या और बलात्कार मामले में भ्रष्टाचार और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में संदीप फिलहाल सीबीआइ की हिरासत में हैं।
नोटिफिकेशन में स्टेट मेडिकल काउंसिल का बयान
नोटिफिकेशन में स्टेट मेडिकल काउंसिल ने कहा कि संदीप को 6 सितंबर को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। उस नोटिस का संदीप ने उचित जवाब नहीं दिया है। इसके चलते उनका नाम पंजीकृत डॉक्टरों के रजिस्टर से हटा दिया गया।
राय मेडिकल काउंसिल के नियम
रा’य मेडिकल काउंसिल ने संदीप से 72 घंटे के अंदर जवाब मांगा था। मेडिकल काउंसिल ने बताया कि किसी डॉक्टर का पंजीकरण दो कारणों से अपनी पहल पर रद्द किया जा सकता है। एक यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध में साजिश रचने या प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने के लिए अदालत में दोषी पाया जाता है और दूसरा यदि किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के परिणामस्वरूप उसे सार्वजनिक रूप से बदनाम किया गया हो।
आईएमए की प्रदेश शाखा की ओर से मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र
मालूम हो कि मंगलवार को आईएमए की प्रदेश शाखा की ओर से मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र भेजा गया था। तृणमूल नेता सुदीप्त रॉय वर्तमान में रा’य चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष हैं। पत्र में सुदीप्त से ‘व्यक्तिगत संबंध’ को देखे बिना संदीप का पंजीकरण रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
आरजी कर अस्पताल से महिला डॉक्टर का शव
आरजी कर अस्पताल से महिला डॉक्टर का शव 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल से बरामद किया गया था। महिला प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और हत्या का आरोप है। कलकत्ता उ’च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने घटना की जांच अपने हाथ में ली। इसके अलावा आरजी कर अस्पताल में वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच भी सीबीआइ को सौंपी गई है।