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जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सामने अवसर और चुनौती, विपक्ष भी मजबूत

श्रीनगर :- चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा की विधानसभाओं के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। हरियाणा विधानसभा के चुनाव तो पांच साल बाद ही हो रहे हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों को दस साल बाद अपने राज्य की विधानसभा चुनने का अवसर मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावीकरण के बाद पहली बार वहां होने वाले इन विधानसभा चुनावों पर सारे देश की नजरें टिकी हुई हैं।

गौरतलब है कि इस अनुच्छेद को हटाने के लिए केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में बिल पेश किया था जिसके माध्यम से सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था ।

जाहिर सी बात है कि आसन्न चुनावों के बाद गठित होने वाली विधानसभा का स्वरूप दस वर्ष पूर्व निर्वाचित विधान सभा से काफी अलग होगा। यह भी यहां विशेष उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल अब पांच वर्षों का होगा जबकि इसके 2014 के चुनावों तक यह 6 वर्षों का हुआ करता था। चूंकि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है इसलिए वहां वहां राज्यपाल की जगह अब उपराज्यपाल होंगे । वर्तमान में मनोज सिंहा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं।

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