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जातिगत जनगणना के मुद्दे पर संघ का संतुलित दृष्टिकोण

नई दिल्ली :- कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल पिछले कुछ महीनों से जातिगत जनगणना का मुद्दा उछाल कर देश भर में अपने पक्ष में हवा बनाने की जी तोड कोशिश कर रहे हैं। इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ राजग की मुखिया भाजपा ने अभी तक अपना कोई स्पष्ट दृष्टिकोण व्यक्त नहीं किया है परन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गत दिनों केरल के पलक्कड़ शहर में संपन्न अपनी अखिल भारतीय समन्वय बैठक में जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं उनका निश्चित रूप से स्वागत किया जाना चाहिये।

संघ का मानना है कि हिंदू समाज में जाति एक संवेदनशील मुद्दा है । राष्ट्रीय एकता और अखंडता की दृष्टि के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।।यदि आवश्यक हो तो सरकार जातिगत जनगणना करा सकती है लेकिन इस मुद्दे का चुनावी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। जातिगत जनगणना का उद्देश्य केवल पिछड़े समाज का कल्याण होना चाहिए। बैठक में संघ का स्पष्ट मत था कि जातीय विभाजन को रोकने का एक मात्र उपाय हिंदुत्व है।

गौरतलब है कि देश के विभिन्न स्थानों पर संघ की समय समय पर होने वाली बैठकों में अखिल भारतीय समन्वय बैठक को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। केरल के पलक्कड़ में संपन्न हुई यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही थी क्योंकि कुछ समय पूर्व वायनाड में भूस्खलन से जान-माल का भारी नुक़सान हुआ था। बैठक के प्रारंभ में वायनाड हादसे में असमय ही मौत की शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। बैठक में संघ के स्वयंसेवकों ने वायनाड में चल रहे राहत कार्यों में अपनी सहभागिता की जानकारी साझा की।

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