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भ्रष्टाचार के खिलाफ उत्तर प्रदेश में नहीं लिया जा रहा कोई कड़ा एक्शन, कई बार दर्ज कराई गई शिकायत

लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- 2017 से ग्राम सभा में भ्रष्टाचार के संबंध में सभी जनपद अधिकारियों और लखनऊ मुख्यमंत्री को जनता दर्शन में अंगीकृत शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है लेकिन फिर भी सुनवाई नहीं हुई है। 1076 जनसुनवाई पोर्टल एवं लिखित प्रार्थना पत्र एवं मंत्री विधायक सांसद जनपद में कोई ऐसा अधिकारी एवं राजनीतिक दल नहीं बचा है। जिसको शिकायत पत्र न दिया हो दो बार समिति हुई है।

पी डब्ल्यू डी विभाग अधिशासी अभियंता और सहायक श्रम आयुक्त विभाग को जिलाधिकारी महोदय अधिकारी महोदय ने दो बार टीम गठित किया था। जांच के संबंध में एक बार तहसील दिवस में शिकायत पत्र देने के बावजूद विकासखंड अधिकारी महोदय कमल किशोर कमल ने ग्राम सभा में जांच की उनके साथ में सहायक अधिकारी दिनेश कुमार वर्मा एवं अन्य अधिकारी गण मौजूद रहे। इसके बाद उन्होंने जांच करके डीएम महोदय को प्रेषित कर दिया था। आज तक रिकवरी नहीं हुई। इसके बाद काफी प्रयास के बाद प्रयागराज मंडल टीम टी.ए सी ने ग्राम सभा में जांच किया भ्रष्टाचार तो बहुत था। किंतु सभी बिंदु सही तरह से जांच नहीं किया। 8,52,000 की रिकवरी निकली। मंत्री विधायक एवं सांसद के चक्कर में रिकवरी अभी तक नहीं हो पाई।

भ्रष्टाचार की जांच कराना बहुत जरूरी है। वर्तमान समय में पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियंता जी को जांच सौंपी गई है। यदि आपकी शिकायतों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, तो आप कुछ और कदम उठा सकते हैं:

1. आरटीआई (RTI) दायर करना: आप सूचना का अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांग सकते हैं कि आपकी शिकायतों पर क्या कार्रवाई की गई है।

2. जिला न्यायालय या लोकायुक्त के पास जाना: यदि प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं हो रही है, तो आप न्यायिक प्रक्रिया के तहत मामला दर्ज करवा सकते हैं या लोकायुक्त के पास भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत कर सकते हैं।

3. मीडिया का सहारा लेना: कभी-कभी मीडिया में भ्रष्टाचार की शिकायतें उठाने से अधिकारियों पर कार्रवाई का दबाव बनता है।

4. ऑनलाइन पोर्टल्स का उपयोग: यदि आपने अब तक ऑनलाइन पोर्टल्स पर शिकायत दर्ज नहीं की है, तो आप सीएम पोर्टल या अन्य सरकारी पोर्टल्स पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

दस्तक हिंदुस्तान न्यूज़ सरकार से अपील करती है कि इस मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए। भ्रष्टाचार में मिले सभी अधिकारियों के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाए जाएं।

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