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2027 से पहले नहीं हो सकती जनगणना, कहां आ रही दिक्कत

नई दिल्ली। तीन साल से विलंबित जनगणना 2027 से पहले होना मुश्किल नजर आ रही है। जनगणना के लिए 30 लाख कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना है और आंकड़े जुटाने के लिए इन कर्मियों के लिए टैब (इलेक्ट्रोनिक उपकरण) खरीदने की प्रक्रिया भी अभी शुरू नहीं हुई है।

जनगणना कर्मियों को प्रशिक्षण

2021 की जनगणना की तैयारियों को देखें तो 2019 के अक्टूबर में ही मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण शुरू हो गया था। बाद में इन्हीं मास्टर ट्रेनर्स की मदद से 30 लाख जनगणनाकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना था, लेकिन पहले कोविड महामारी और फिर लगातार हो रहे चुनाव के कारण यह काम टलता गया।

किनते चरण में होती है जनगणना?

जनगणना दो चरण में होती है। पहले चरण की जनगणना की शुरूआत एक अप्रैल 2020 से शुरू होनी थी, दूसरा चरण सात फरवरी 2021 में होना था। 2019-20 के बजट में जनगणना के लिए 8,754 करोड़ रुपये और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने के लिए 3,941 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

कब होगी भारत में जनगणना?

जाहिर है यदि 2025-26 के बजट में जनगणना के लिए उचित बजटीय आवंटन होता है तो भी जनगणनाकर्मियों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम 2025 जुलाई के बाद ही शुरू  सकेगा। इसके बाद 2026 में एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच पहले चरण में घरों की गणना हो सकती है। उसके बाद 2027 के फरवरी में व्यक्तियों की गणना का काम पूरा हो सकता है।

पहली बार कब हुई थी जनगणना?

ऐसा नहीं है कि 1881 से हर 10 साल बाद होने वाली जनगणना में पहली बार देरी हुई है। इसके पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण 1941 की, चीन के साथ युद्ध के कारण 1961 की और पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण 1971 की जनगणना बाद में कराई गई थी।

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