नई दिल्ली :- गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले यानी 6 सितंबर, शुक्रवार को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार, शुक्ल, ब्रह्म और रवि योग की त्रिवेणी व्रत-पूजन को शुभ फल प्रदान करने वाली है। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है।
हरतालिका तीज कब है
तीज पांच सितंबर को दोपहर 12.21 से छह सितंबर को दोपहर 3.31 बजे तक रहेगी।
हरतालिका पूजा के लिए श्रेष्ठ समय छह सितंबर को सुबह छह से सुबह 8.30 बजे तक रहेगा।
अस्थायी मूर्तियों का पूजन सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
सुबह पूजा न कर पाए, तो क्या करें
पूजा के लिए सुबह का समय उचित माना गया है। यदि किसी कारणवश सुबह पूजा कर पाना संभव नहीं है तो प्रदोष काल में शिव-पार्वती की पूजा की जा सकती है। हरतालिका तीज हरियाली तीज के एक माह बाद आती है। मुख्यतः: इसे गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले मनाया जाता है।
हरतालिका व्रत की पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाएं व युवतियां व्रत से एक दिन पहले मध्य रात्रि में बिल्वपत्र का भाग, ककड़ी आदि ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद अगले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर कुल परंपरा अनुसार भगवान शिव पार्वती का पूजन करती हैं।
हरतालिका तीज पर पांच प्रहर की पूजन का विधान है। साथ ही रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया गया है। इसी धर्मपरंपरा व शास्त्रीय मत के अनुसार महिलाएं सखी सहेलियों के साथ व्रत करती हैं। शनिवार तड़के ब्रह्म मुहूर्त में बालू रेत से निर्मित शिवलिंग का विसर्जन कर व्रत को पूर्णता प्रदान की जाती है।