नई दिल्ली:- संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “जब देश के प्रधानमंत्री और सदन के नेता सदन में अपनी बात रखते हैं तो उस समय सबको सुनना होता है चाहे वो सत्ता पक्ष हो या विपक्ष लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है और सुनने का भी अधिकार है। जब प्रधानमंत्री ने लोकसभा में बोलना शुरू किया तो कांग्रेस और उनके कुछ साथियों ने भारी हंगामा किया और प्रधानमंत्री के पूरे भाषण को बाधित किया। यह बहुत दुख की बात है क्योंकि जब देश का प्रधानमंत्री बोलते हैं तो उन्हें बोलने के लिए पूरा समय दिया जाता है, यही परंपरा रही है। अगर वो बीच में टोकना चाहते हैं या सफाई देना चाहते हैं तो ठीक है क्योंकि भाषण के दौरान कुछ रुकावटें जरूर डाली जाती हैं लेकिन आप शोर मचाकर और नारे लगाकर उन्हें पूरे 2 घंटे बोलने नहीं देंगे। ऐसा कभी नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी को सोचना होगा कि देश का प्रधानमंत्री किसी पार्टी का नहीं होता। वो पूरे देश का नेतृत्व करता है।”
विपक्षी नेताओं के वॉकआउट पर केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “विपक्षी दलों की आदत है कि वे भागना चाहते हैं। उन्होंने जो सवाल खड़े किए थे उनके जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री तैयार थे लेकिन वे सदन छोड़कर चले गए। कल लोकसभा में भी लगातार हंगामा करते रहे। सभापति ने भी इसका विरोध किया है। ये संविधान का अपमान है।”
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष के हंगामे पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, “हम सबने और पूरे देश ने देखा है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बोलने के लिए कितना मौका मिला। वहीं दूसरी ओर देश ने यह भी देखा है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोल रहे थे तो विपक्ष के लोग किस प्रकार से शोरगुल मचा रहे थे। झूठ बोलना कांग्रेस और विपक्षी दलों की आदत बन गई है। जैसे राहुल गांधी ने लोकसभा में केवल और केवल झूठ ही बोला।”
भाजपा सासंद दीपक प्रकाश ने कहा, “विपक्ष डरा-सहमा हुआ है और मुद्दा विहीन राजनीति करने का परिचायक है इसलिए आज राज्यसभा में सरकार की उपलब्धियों और राष्ट्रपति के अभिभाषण को सुन नहीं पाया। जनता के सच का सामना करना उनके(विपक्ष) दिल और दिमाग में नहीं है।”
प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान विपक्ष के वॉकआउट पर केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा, “कांग्रेस सच्चाई सुनना नहीं चाहती। अपनी बात कहकर भाग जाती है। देश के लोगों ने उन्हें लगातार 15 साल भगाने का काम किया। जवाब सुनने का उनमें हौसला ही नहीं है। इसलिए वे हर बार मैदान छोड़कर भागते हैं।”