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आखिर क्यों नहीं मिली हकदारों को सीट, सुधा मूर्ति को राज्यसभा की सीट पर किया गया मनोनीत

नई दिल्ली :- मशहूर व्यापारकर्ता और इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी दी। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा “मुझे खुशी है कि भारत के राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए नामित किया है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान बहुत बड़ा और प्रेरणादायक रहा है। पीएम ने आगे लिखा कि वह हमारी ‘नारी शक्ति’ का सशक्त प्रमाण हैं, जो हमारे देश की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण है। उनके सफल संसदीय कार्यकाल की कामना करता हूं।

अन्य 11 यूपी से तीन बार के भाजपा लोकसभा सांसद राम शकल हैं; लेखक और आरएसएस नेता राकेश सिन्हा; भरतनाट्यम प्रतिपादक सोनल मानसिंह; भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई; वरिष्ठ वकील और पूर्व भाजपा नेता महेश जेठमलानी; संगीतकार इलैयाराजा; परोपकारी और धर्मस्थल मंदिर के वंशानुगत प्रशासक वीरेंद्र हेगड़े; पूर्व एथलीट और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पी टी उषा; जम्मू-कश्मीर में गुज्जर समुदाय से भाजपा नेता गुलाम अली; तेलुगु पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक वी विजयेंद्र प्रसाद; और पंजाब के शिक्षाविद् सतनाम सिंह संधू।

संविधान के अनुच्छेद 80 (3) के तहत, राज्यसभा के 245 सदस्यों में से 12 को सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। अनुच्छेद के प्रावधानों के अनुसार, नामांकित सदस्यों को साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए। मूर्ति एक लेखक और परोपकारी दोनों हैं।

आखिर क्यों दी गई सुधा मूर्ति को सीट – 

राज्यसभा की एक सीट पर सुधा मूर्ति को चुना गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कई लोग ऐसे हैं जो मेहनत के बल पर आगे बढ़े, उनको भी सीट नहीं दी गई है। निगम वित्त पोषण के आधार पर सुधा मूर्ति को सीट दी गई है। कई ऐसे लोग जो इस सीट के पूरे हकदार थे इससे वंचित रह गए हैं।

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