नई दिल्ली :- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी लेवल पर शैक्षणिक ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि सीबीएसई बोर्ड के प्रस्ताव के मुताबिक 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पांच की बजाय 10 विषयों के पेपर देने होंगे। उन्हें अकादमिक सत्र के दौरान दो की जगह तीन भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें अनिवार्य तौर पर दो भारतीय भाषाएं होंगी। 7 अन्य विषय होंगे। इसी तरह कक्षा 12वीं में विद्यार्थियों को एक की बजाय दो भाषाएं पढ़नी होंगी जिसमें एक भारतीय भाषा होना अनिवार्य होगा। प्रस्ताव के मुताबिक उन्हें छह विषयों में पास होना होगा। वर्तमान में कक्षा 10वीं और 12वीं में पांच-पांच विषयों में पास होना होता है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रस्तावित बदलाव नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को स्कूली शिक्षा में लागू करने की सीबीएसई की व्यापक पहल का हिस्सा हैं। क्रेडिटाइजेशन का उद्देश्य व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच अकादमिक समानता स्थापित करना है, जिससे दोनों शिक्षा प्रणालियों के बीच गतिशीलता की सुविधा मिल सके, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा प्रस्तावित है। क्रेडिटाइजेशन का मकसद व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच अकादमिक समानता लाना है ताकि दोनों एजुकेशन सिस्टम को तवज्जौ मिल सके जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित है।