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महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में अमित शाह और अधीर रंजन चौधरी के बीच हुई बहस

नई दिल्ली:- देश की नई संसद में पहले दिन की कार्यवाही के रूप में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश कर किया।

सरकार द्वारा महिला आरक्षण को लेकर नया बिल पेश करने पर सवाल उठाते हुए हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने कई बार कोशिश किया। लेकिन, यह कभी लोकसभा से पास हुआ तो राज्यसभा से नहीं हुआ और कभी राज्यसभा से पास हुआ तो लोकसभा से नहीं हो पाया।

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में राज्य सभा से पास महिला आरक्षण बिल आज तक जीवित है तो फिर यह नया बिल क्यों लाया गया?

अधीर रंजन चौधरी के दावे को गलत बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में खड़े होकर बताया कि अधीर रंजन चौधरी ने दो बातें गलत कही है और या तो वह इसे साबित करें या इसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाए।

शाह ने कहा कि महिला आरक्षण से जुड़ा बिल कभी भी लोकसभा से पारित नहीं हुआ था और 2010 में राज्यसभा में पारित विधेयक 2014 में नई लोकसभा के गठन के साथ ही लैप्स हो गया था, पुराना बिल अभी भी जीवित नहीं है और यह लैप्स हो गया है। इसलिए उनकी दोनों बातें फैक्ट्स के हिसाब से गलत है।

मार्च 2010 में राज्यसभा में यह बिल पारित हो गया, उसके बाद यह लोकसभा के पास आया। लोकसभा के पास आते ही यह लोकसभा की संपत्ति बन गया और मई 2014 में जैसे ही वह 15 वीं लोकसभा भंग हुई उसी के साथ वह बिल भी लैप्स हो गया है।

उन्होंने कहा कि उस समय जानबूझकर यह बिल पास नहीं किया गया। मेघवाल ने यह भी बताया कि 1996 में देवेगौड़ा सरकार के कार्यकाल में 11वीं लोकसभा में यह बिल पेश हुआ था। अटल सरकार के कार्यकाल में 1998 में 12वीं लोकसभा में और 1999 में 13वीं लोकसभा में भी बिल पेश किया गया। लेकिन, संख्या बल नहीं होने के कारण अटल सरकार इस सपने को साकार नहीं कर पाई थी।

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