नई दिल्ली:- देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपना 73वां जन्म दिवस भगवान विश्वकर्मा को समर्पित करते हुए देश के कामगारों, श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा योजना सहित कई योजनाओं का शुभारंभ किया।
इस योजना से जरूरतमंद और गरीब वर्ग को लोगों के लोगों को लाभ मिलेगा। योजना के तहत पारंपरिक कार्य करने वाले शिल्पकारों, कारीगरों को प्रशिक्षण, ऋण सुविधा सहित अन्य कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर श्रमिकों के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत कर सही मायने में श्रमेव जयते को चरितार्थ किया है।
उन्होंने कहा कि यह योजना शुरू करके प्रधानमंत्री ने कारीगरों, श्रमिकों के जीवन में एक नई आशा भर दी है। भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर हरियाणा में राष्ट्रीय श्रमिक दिवस को अनूठे रूप से मनाया गया और राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि यह कार्यकम उस धरा पर हुआ, जहां हरियाणा सरकार ने युवाओं को हुनरमंद बनाने हेतु भगवान श्री विश्चवकर्मा के नाम से पलवल में देश की पहली विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की है। मनोहर लाल ने इस विश्वविद्यालय के माध्यम से हजारों युवक हर साल कौशल प्राप्त कर आगे बढ़ेंगे।
मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि श्रम ही जीवन है, अगर कोई व्यक्ति श्रम करना छोड़ देगा, आलसी हो जाएगा तो उसके जीवन में कभी भी खुशहाली नहीं आ सकती है। इसलिए हम हर प्रकार के श्रम करके आगे बढ़ते हैं और जिसके कारण न केवल हमारा व्यक्तिगत भला होता है, बल्कि हम प्रदेश और देश को आगे बढ़़ाने में भी योगदान देते हैं। श्रमेव जयते ही श्रम की सही पहचान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वर्ष 2047 में जब देश को आजाद हुए 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे, तब भारत देश दुनिया की ताकत बनकर उभरेगा। आज भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है और आज से 25 साल के अमृत काल के बाद वर्ष 2047 तक भारत अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुँच जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 9 सालों में देश में औद्योगिक विकास, इनफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उसमें बहुत बड़ा योगदान श्रमिकों का है।