नई दिल्ली :- जीवन एक उत्सव है, लेकिन अगर इसमें कोई रोमांच न हो या यूं कहें कि यह दुखों से भरा हो तो आदमी हर पल मर-मरकर जीता है। ऐसा ही कुछ था पिछले महीने ही दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला का खिताब हासिल करके 134 साल की उम्र में दुनिया से रुखसत हो चुकी रूस की कोकू इस्तामबुलोवा का किस्सा।
कोकू इस्तामबुलोवा को लगता था कि उनके जीवन-जीवन नहीं, बल्कि भगवान की तरफ से दी गई कोई सजा है। जानें कोकू इस्तामबुलोवा को क्यों लगता था ऐसा-
1889 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के शासन काल के दौरान हुआ था रूस की चेचेन्या निवासी कोकू इस्तामबुलोवा का जन्म
एक दावे के मुताबिक रूस के चेचेन्या में रहती कोकू इस्तामबुलोवा का जन्म ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के शासन काल के दौरान और अंतिम जार शासक निकोलस द्वितीय के राज्याभिषेक से पहले 1 जून 1889 होने का दावा किया गया था। हालांकि उनके पेंशन के प्रमाणपत्र में सिर्फ उनके जन्म का साल ही लिखा था। पिछले महीने उनका निधन हो गया। अब उनके पीछे परिवार में उनके पांच पोते-पोतियां और 16 परपोते-पोतियां हैं। उनके पोते इलियास अबुबकारोव ने कहा कि जिस दिन उनकी मृत्यु हुई, उस दिन उन्होंने हमेशा की तरह रात का खाना खाया। वह खूब हंस-बोल रही थीं, मगर फिर अचानक अस्वस्थ महसूस करने लगीं। सीने में दर्द की शिकायत की। परिवार ने डॉक्टर को बुलाया तो रक्तचाप कम हो जाने का पता चला। इंजेक्शन लगाए गए, लेकिन जिंदगी बचाई नहीं जा सकी।उन्हें उनके गृह गांव ब्रैटस्को में दफनाया गया है।
उल्लेखनीय पहलू यह है कि यह महिला जिंदगी जिंदगी कम और सजा ज्यादा कहकर सुर्खियों में रही थीं। उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने लंबे जीवन में कभी भी एक भी खुशी का दिन नहीं बिताया। कुछ वक्त पहले सामने आई डेलीमेल की रिर्पोट के अनुसार कोकू इस्तांबुलोवा ने भावनात्मक रूप से उस भयावह दिन के बारे में बात की थी, जब 75 साल पहले उनके मूल चेचन लोगों को स्टालिन ने सामूहिक रूप से कजाकिस्तान के स्टेपीज में निर्वासित कर दिया था। उसने बताया कि कैसे मवेशी-ट्रक ट्रेनों में लोग मर जाते थे और उनके शवों को भूखे कुत्तों के लिए गाड़ियों से बाहर फेंक दिया जाता था। बकौल कोकू इस्तांबुलोवा, ‘वह एक बुरा, ठंडा और उदास दिन था, जब फरवरी 1944 में पूरे देश को ट्रांस-काउसाकस में उनकी पहाड़ी मातृभूमि से निर्वासित कर दिया गया था। हमें ट्रेन में बिठाया गया और ले जाया गया.कहां, कोई नहीं जानता था। रेल गाड़िया लोगों से भरी हुई थी। हर जगह गंदगी, कूड़ा-करकट और मल-मूत्र था’।