नई दिल्ली :- राज्यसभा के सदस्यों ने 1999 के कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देश की आन, बान और शान के लिए बुलंदशहर के वीर सपूतों ने हमेशा बढ़-चढ़कर योगदान दिया है। बुलंदशहर के वीर जवानों ने कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हु जनपद का नाम बुलंद किया। दुश्मन के दांत खटटे करते कारगिल युद्ध में विजय पताका फहराई। अनगिनत पाक घुसपैठियों को युद्धभूमि में ढेर कर दिया। कारगिल युद्ध में जिले के पांच वीर सपूत शहीद हुए।
कारगिल युद्ध की 24 वीं वर्षगांठ पर देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों के परिजनों सहित सभी जनपदवासी उन्हें याद कर भावुक हो रहे हैं। जहां वीर सपूतों को खोने का गम है, वहीं उनकी शहादत पर सीना गर्व से चाँ हो जाता है।
भारत देश में बुलंदशहर जनपद को वीर सपूतों की जननी वाला जनपद कहा जाता है। जनपद के गांव भटौना, खैरपुर, कुरली, औरंगाबाद अहीर और सैदपुर सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां पर हजारों लोग सेना में सेवा देते रहे हैं।
योगेन्द्र यादव को सबसे कम उम्र में मिला परमवीर चक्र सम्मान जनपद के गुलावठी क्षेत्र के गांव औरंगाबाद अहीर के वीर सपूत सेवानिवृत्त हो चुके सम्मानित कैप्टन योगेन्द्र यादव को कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की कार्रवाई में अदम्य साहस और पराक्रम के लिए सेना का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र से नवाजा गया। मात्र 19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव सबसे कम उम्र के सैनिक हैं जिन्हें यह सम्मान मिला।
बुलंदशहर। वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में बुलंदशहर जनपद के कई वीर सपूतों ने शहादत दी थी, मगर पांच वीर जवानों की कारगिल युद्ध में शहीद का दर्जा प्राप्त हो सका।
कारगिल युद्ध में बीबीनगर के गांव सैदपुर के नायब सूबेदार सुरेन्द्र सिंह, गुलावठी के गांव खैरपुर के लांसनायक ओमप्रकाश, खंगावली के सिपाही राज सिंह, कुरली के नायब सूबेदार ऋषिपाल सिंह और खुर्जा के गांव पिसवागढ़ी सहारनपुर के सिपाही कंछी सिंह ने दुश्मन के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।