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मणिपुर हिंसा पर‌ बोलीं NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा : अधिकारियों से बराबर संपर्क

इम्फाल (मणिपुर) :- मणिपुर के वायरल वीडियो और NCW द्वारा राज्य प्राधिकरण को लिखे पत्र पर NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हम मणिपुर के अधिकारियों के संपर्क में हैं… भारत के बाहर और मणिपुर के बाहर के लोगों से एक विशेष नहीं बल्कि कई शिकायतें थीं। सबसे पहले तो ये साफ़ करना होगा कि जो कुछ लिखा गया वो सच है या नहीं। मणिपुर सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा और अगर यह सच है तो उन्हें इस पर काम करना होगा। तदनुसार हमने उन्हें पत्र लिखा है।

रेखा शर्मा ने घटना की कोई भी सूचना मिलने से इनकार किया और कहा कि वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने शुक्रवार को घटना का स्वत: संज्ञान लिया और अधिकारियों से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा। एनसीडब्ल्यू प्रमुख ने हालांकि कहा कि उन्हें महिलाओं के मुद्दों के संबंध में अन्य शिकायतें मिली हैं और इसके लिए उन्होंने मणिपुर में अधिकारियों से तीन बार संपर्क किया था, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने राज्य के अधिकारियों को भेजे गए पत्र भी साझा किए। रेखा शर्मा ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की शिकायतों पर उन्हें पत्र लिखा था।

अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “हमें प्रामाणिकता की पुष्टि करनी थी, और यह भी कि शिकायतें मणिपुर से नहीं थीं, कुछ तो भारत से भी नहीं थीं। हमने अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन जब कल (महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराने का) वीडियो प्रसारित हुआ तो हमने स्वत: संज्ञान लिया। यह पत्र 18 मई, 29 मई और  19 जून को लिखे गए थे।

बुधवार को चार मई का वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया, जिसमें विरोधी समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष के पुरुषों के एक समूह द्वारा निर्वस्त्र कर परेड कराते दिखाया गया है। 26 सेकेंड का यह वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर आया। जिसके बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के वीडियो ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया‌। सड़क से लेकर संसद तक इस घटना पर बवाल मचा है। 4 मई को हुई इस घटना में समय पर कार्रवाई न करने को लेकर मणिपुर पुलिस पर कई आरोप लग रहे हैं। इन सबके बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की भी बड़ी लापरवाही सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि NCW ने मणिपुर में हुई इस घटना के पीड़ितों की शिकायत पर एक महीने से अधिक समय तक कार्रवाई नहीं की।

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