इस्लामाबाद :- पाकिस्तान सरकार ने सांसदों के लिए विवेकाधीन बजट में 66 प्रतिशत की भारी वृद्धि को मंजूरी दे दी है जो मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रिकॉर्ड 116 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया है। यह निर्णय ‘लापरवाह’ राजकोषीय नीति को जारी रखता है जो पाकिस्तान को डिफॉल्ट के करीब धकेल रहा है।
ऐसा लगता है कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम के पुनरुद्धार की उपेक्षा कर रही है। यह इस साल फरवरी में आईएमएफ के साथ हुई समझ का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए पैसा खर्च किया जा रहा है जिसका उद्देश्य प्राथमिक घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के केवल 0.5 प्रतिशत तक सीमित करना है।
चालू वित्त वर्ष के लिए संघीय बजट घाटा अब लगभग 6.4 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 8.1 प्रतिशत होने का अनुमान है जो 4.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के लक्ष्य से करीब डेढ़ गुणा है।
सरकार ने शुरू में चालू वित्त वर्ष में सांसदों की योजनाओं के लिए 70 अरब पाकिस्तानी रुपये आवंटित किए थे जो कि 13 गठबंधन दलों द्वारा अतिरिक्त धन की प्रतिस्पर्धी मांगों के कारण अपर्याप्त साबित हुई है। सरकार विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की बजाय उन योजनाओं के लिए धन आवंटित कर रही है जहां उचित जांच की कमी के कारण दुरुपयोग की संभावना अधिक है। गठबंधन सरकार ने पहले नेशनल असेंबली के प्रत्येक सदस्य को 50 करोड़ पाकिस्तानी रुपये आवंटित करने का निर्णय लिया था जिसे अब गठबंधन सहयोगियों को खुश करने के प्रयास में काफी बढ़ा दिया गया है।