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यूरोपीय जोन में अर्थव्यवस्था में कमी आने पर भारत में भी दिखेगा इसका साफ असर

नई दिल्ली :- यूरोप में व्यापार में आई कमी से भारत के कई राज्यों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। भारत में व्यापार में काफी कमी देखने को मिल सकती है।  यूरोपीय जोन में शामिल 20 देशों की अर्थव्यवस्था पर मंदी का संकट मंडराने लगा है। बीते वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में इन देशों की अर्थव्यवस्था में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसका कारण रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक बैंकिंग संकट रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है क्योंकि यहां से कई वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। यदि यूरो जोन में मांग घटती है तो देश का निर्यात भी घटेगा। इसके चलते रोजगार सृजन पर भी असर देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि किन शहरों पर असर पड़ने की आशंका है –

कानपुर – चमड़ा उत्पादों की मांग 25 फीसदी घटी

उत्तर प्रदेश की उद्योग नगरी कानपुर में भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। कानपुर से चमड़ा उत्पाद के निर्यात को झटका लगा है। दो माह में 25 फीसदी निर्यात घटा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7000 करोड़ का चमड़ा निर्यात हुआ। चालू साल के अप्रैल-मई में पिछले साल के अप्रैल-मई की तुलना में करीब 25 फीसदी निर्यात कम हुआ है। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के उपाध्यक्ष आरके जालान के अनुसार गिरावट का मुख्य कारण यूरोप के देशों से मांग कम होना है। कानपुर से इंजीनियरिंग प्लास्टिक, टेक्सटाइल, डिफेंस उत्पाद का भी निर्यात होता है। इस पर भी 20 प्रतिशत तक असर पड़ा है।

मेरठ – हैंडलूम और खेल उद्योग पर मार पड़ेगी

मेरठ से हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट और खेल का सामान यूरोप के काफी देशों में निर्यात होता है। यहां मंदी का असर मेरठ के इन उद्योगों पर 25 से 30 फीसदी तक पड़ने की आशंका है। मेरठ में खेल उद्योग का सालाना कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये का है। आईआईए के अध्यक्ष अनुराग अग्रवाल ने बताया कि मेरठ और आसपास के क्षेत्रों में यूरोप के मंदी का असर पड़ना स्वाभाविक है।

सहारनपुर- लकड़ी की नक्काशी के करोबार पर असर

सहारनपुर के वुडकार्विंग (लकड़ी की नक्काशी) के कारोबार पर 25 फीसदी असर पड़ने की आशंका है। सहारनपुर से वुडकार्विंग के सामान का हर साल करीब 1300 करोड़ का निर्यात होता है। इसमें 25 फीसदी सामान यूरोप के देशों में भेजा जाता है। आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामजी सुनेजा ने बताया कि फिलहाल तो सब ठीक चल रहा है। लेकिन यूरोप की मंदी का असर अगले कुछ दिनों में दिखाई दे सकता है।

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