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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाई गई हिरण की दुर्लभ प्रजाती ‘माउस डियर’

रायपुर (छत्तीसगढ़):- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हिरण की दुर्लभ प्रजाती ‘माउस डियर’ पाई गई है। भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह में से एक है। 30 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बस्तर स्थित विख्यात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अब दुर्लभ प्रजाति ‘माउस डियर’की तस्वीर कैमरा ट्रेप में कैद हुई है।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा स्थानीय युवाओं को पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में रोज़गार उपलब्ध कराया गया है, जिससे लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कर वन्यजीवों के रहवास का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्रामीणों की संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित होने से वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। उल्लेखनीय है कि भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह की प्रजाति में से एक है।

भारतीय माउस डियर का रहवास विशेष रूप से घने झाड़ियों तथा नमी वाले जंगलों में होता है। माउस डियर में चूहे-सूअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है और बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है।

हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर

विशेषज्ञों के अनुसार भारत में 12 तरह की प्रजाति पाई जाती हैं। माउस डियर विश्व (World’s Smallest Deer) में सबसे छोटे हिरण समूह में से एक है। भारतीय माउस डियर (Mosechiola indica) रहवास विशेष रूप से घने झाड़ियों वालो नमी वाले जंगलों में होता है।

सबसे छोटी प्रजाति का हिरण

माउस डियर खासतौर पर दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के वनों में देखा गया है। माउस डियर विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है। ये शर्मीला जीव माना जाता है और रात के समय बाहर निकलता है, इसलिए बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलता है। जंगलों में भी इस जीव को देख पाना आसान नहीं।

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