नई दिल्ली :- दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब नीति के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार से संबंधित आरोप के मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। दिल्ली की अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। स्पेशल जज ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इनकार कर दिया कि यह उन्हें जमानत देने के लिए उपयुक्त समय नहीं है।
सीबीआई ने आठ घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद आप नेता को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी का मामला है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया।
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि सिसोदिया और अन्य आबकारी नीति 2021-22 के संबंध में “अनुशंसा करने और निर्णय लेने” में “सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से” महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी। इसने कहा है कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनिट्स ऑफ मिटिंग्स में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था।
एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे थे।