जानें, कितना बड़ा है कबाड़ का कारोबार
दुनियाभर में 2 बिलियन टन से ज्यादा वेस्ट मटेरियल हर साल जेनरेट होता है. भारत में यह आंकड़ा 277 मिलियन टन से ज्यादा है. इतनी भारी मात्रा में वेस्ट को मैनेज करना सबसे मुश्किल टास्क है, हालांकि पिछले कुछ सालों में वेस्ट मैनेजमेंट (Waste management) को लेकर कई इनिशिएटिव शुरू हुए हैं.कई लोग वेस्ट मटेरियल से घर की सजावट के आइटम, ज्वेलरी, पेंटिंग्स जैसी चीजें तैयार करके इस चुनौती से निपटने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. रांची के युवा शख्स शुभम कुमार हो या फिर बनारस की शिखा साह. इन लोगों ने कबाड़ के बिजनेस से ही अपना फ्यूचर संवारा है और आज लाखों में कारोबार कर रहे हैं.
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जानें, कैसे शुरू करें यह कारोबार?
इसे शुरू करने के लिए सबसे पहले आप अपने आसपास और अपने घरों के बेकार सामान यानी की कबाड़ को इकठ्ठा कर लें. आप चाहें तो नगर निगम से वेस्ट ले सकते हैं. कबाड़ वालों के पास से भी सामान उठा सकते हैं. कई कस्टमर्स भी वेस्ट मटेरियल प्रोवाइड कराते हैं उनसे खरीद भी सकते हैं. इसके बाद उसकी सफाई करें. उसकी डिजाइनिंग और कलर करने का काम करें. जैसे कि आप बांस का टूथब्रश बना सकते हैं. अमेजन पर इसकी कीमत 70 रुपए के आसपास है. इसके अलावा प्याला, लकड़ी के क्राफ्ट, केतली, ग्लास, कंघा व अन्य होम डेकोरेशन सामान तैयार कर सकते हैं. अंत में मार्केटिंग का काम शुरू होता है. ई-काॅमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट पर इसे बेच सकते हैं. इसे आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं.
शुभम साल का 10 लाख कमा रहे हैं
शुभम जो कि द कबाड़ी डॉट कॉम स्टार्टअप चलाते हैं वे बताते हैं कि शुरुआत में एक रिक्शा, एक ऑटो और तीन लोगों के साथ मिलकर घर-घर जाकर कबाड़ का कलेक्शन करना शुरू किया. आज इस कंपनी में महीने का टर्न ओवर आठ से दस लाख रुपए तक पहुंच चुका है. शुभम बताते हैं कि महीने में 40 से 50 टन कबाड़ी उठाते हैं. दो साल पहले चार लोगों के साथ इस कंपनी की शुरुआत हुई थी. आज इस कंपनी में 28 लोगों को रोजगार मिल चुका है.
क्या करते हैं कबाड़ का
बकौल शुभम कबाड़ को रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है. लोहे, कागज, गत्ते, प्लास्टिक को अलग-अलग फैक्ट्री में भेज कर उसे रिसाइकिल किया जाता है और फिर से उसे प्रयोग लायक बनाया जाता है.
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क्या कहती हैे शिखा
शिखा ने अपने बिजनेस की शुरुआत घर से ही की थी. शिखा ने वेस्ट मैटेरियल से यूनिक आइटम बनाकर कंपनी खड़ी कर दी है. शिखा की कंपनी का नाम है- स्क्रैपशाला. वे कहती हैं हमने 15 हजार में कारोबार शरू किया. हम नगर निगम से वेस्ट लेते हैं. शिखा बताती हैं कबाड़ को हम सफाई, डिजाइनिंग और कलर करते हैं और फिर नए डिजाइन के साथ मार्केट में सेल कर देते हैं.
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