Karnataka Crisis: 2020 में आनंद सिंह ने कर्नाटक में एक तरफ भाजपा की सरकार बनाने में तो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान सरकार में उनकी इस अहमियत को ध्यान में नहीं रखा गया।
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेता बसवराज बोम्मई ने 15 दिन पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। लेकिन पोर्टफोलियो आवंटन को लेकर कैबिनेट में शामिल कई मंत्री नाराज चल रहे हैं। उन्हीं में से एक मंत्री और बल्लारी क्षेत्र से चौथी बार चुने गए विधायक आनंद सिंह ( MLA Anand Singh ) मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ( Chief Minister Basavaraj Bommai ) द्वारा आवंटित विभागों से नाराज हैं। अब उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफे ( resign ) की धमकी दे दी है। उनके इस्तीफे को बसवराज बोम्मई सरकार के लिए खतरे की घंटी भी साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए कि 2020 में आनंद सिंह ने प्रदेश में एक तरफ भाजपा की सरकार ( BJP Goverment ) बनाने में तो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Alliance ) की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।
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पोर्टफोलियो से खुश नहीं हैं आनंद सिंह
बसवराज सरकार में उन्हें पर्यटन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्री नियुक्त किया गया है। इससे वो खुश नहीं हैं। बताया जा रहा है कि वो वन या ऊर्जा मंत्रालय जैसे हाई-प्रोफाइल विभाग की जिम्मेदारी चाहते हैं। आनंद सिंह पूर्व सीएम येदियुरप्पा के करीबियों में से एक हैं। आनंद सिंह फरवरी 2020 से जनवरी 2021 तक कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी मंत्री रहे। 2020 में सिंह को खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री नियुक्त किया गया था, लेकिन येदियुरप्पा द्वारा अपने पोर्टफोलियो में बदलाव की मांग के बाद उन्हें वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय दिया गया था। नवगठित सरकार में सिंह से वन विभाग वापस ले लिया गया। इसके बदले उन्हें बुनियादी ढांचा विकास विभाग दिया गया था।
कौन हैं आनंद सिंह?
बल्लारी क्षेत्र से चौथी बार चुने गए विधायक आनंद सिंह धनी व्यवसायी हैं। अवैध खनन और वन अपराधों के लगभग 13 मामलों में वो आरोपी है। अपने खिलाफ लंबित मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि ये सभी मामले मामूली थे। येदियुरप्पा के समय में वन मंत्री के रूप में उन्होंने कर्नाटक के कुल 9.94 लाख हेक्टेयर में से 6.64 लाख हेक्टेयर को डीक्लासिफाई करने और राजस्व अधिकारियों को सौंपने के लिए एक विवादास्पद कदम की घोषणा की थी। जबकि इस मामले को सुप्रीम से मंजूरी की आवश्यकता होती है। बावजूद सुप्रीम इस मसले का 1996 के टीएन गोदावर्मन मामले के तहत वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के कार्यान्वयन की निगरानी कर रहा है।
सीबीआई जांच से संबंधित तीन मामलों में भी आनंद सिंह आरोपी हैं। आनंद सिंह और एक कथित अवैध खनन सिंडिकेट के अन्य सदस्य जो पूर्व भाजपा मंत्री गली जनार्दन रेड्डी के नेतृत्व में संचालित थे, पर सरकारी खजाने को 200 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान करने का आरोप है। बेल्लारी में वन भूमि की बेतहाशा लूटकर अवैध खनन और निर्यात के मामले भी उनके खिलाफ चल रहे हैं। इतना ही नहीं सिंह के खिलाफ 2008-2013 की अवधि से सभी 15 आपराधिक मामले लंबित थे। सिंह ने 2019 के विधानसभा उपचुनाव के दौरान अपने हलफनामे में इन मामलों की घोषणा की थी। सिंह ने दिसंबर 2019 में विजयनगर सीट के उपचुनाव के दौरान 173 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की थी।
कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने में निभाई थी अहम भूमिका
2019 में आनंद सिंह कांग्रेस और जेडीएस के असंतुष्ट 17 विधायकों के समूह में पहले नेता थे जिन्होंने बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार बनाने के लिए भाजपा में शामिल होने के लिए अपनी पार्टियों छोड़ी थी। सिंह का कहना है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को विस्थापित करने के बाद कर्नाटक में पार्टी को सरकार बनाने में उनकी भूमिका के बावजूद उन्हें भाजपा से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है। जबकि मैं 2019 में विधानसभा से इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति था। हमारे इस्तीफों से राज्य में बीजेपी सत्ता में आई। पार्टी नेताओं को इस सब पर विचार करते हुए मुझे एक बड़ा विभाग आवंटित करना चाहिए था।
BJP के लिए सियासी संकट क्यों?
माना जा रहा है कि कर्नाटक और नई दिल्ली में भाजपा नेतृत्व इस बात को लेकर आशंकित है कि आनंद सिंह की विभागों में बदलाव की मांगों को स्वीकार करने के बाद अन्य असंतुष्ट मंत्री अपनी मांगों पर जोर देंगे। नगर प्रशासन मंत्री एमटीबी नागराज पहले ही अपने पोर्टफोलियो पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी नहीं दी है। फिलहाल आनंद सिंह के साथ पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने बुधवार को बैठक हुई है, लेकिन इस बारे में अभी कोई बात खुलकर सामने नहीं आई है।
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