कहते हैं ना कि पूत के पग पालने में दिख जाते हैं, कुछ वैसी ही हालत यहां के नगर परिषद की है। इस पूत के पग पालने में क्या ये तो जैसे जग जाहिर है।
टिप्पणी
महेन्द्र त्रिवेदी
बाड़मेर शहर की सूरत बिगड़ी हुई है। शायद ही कोई चौराहा हो, जिसे देखकर सुकून मिल सके। नगर परिषद में बैठे अधिकारी व जनप्रतिनिधि संभवत: गहरी नींद में है, पता नहीं कब जागेंगे और अगर जाग भी गए तो कुछ करेंगे या फिर वहीं ढपली और अपनी वाली राग। कहते हैं ना कि पूत के पग पालने में दिख जाते हैं, कुछ वैसी ही हालत यहां के नगर परिषद की है। इस पूत के पग पालने में क्या ये तो जैसे जग जाहिर है। कारिंदों ने यहां क्या-क्या गलत नहीं किया है। कुछ भी जैसे बचा ही नहीं है। इनका डंडा भी यहां कमजोर पर ज्यादा चलता है। कार्रवाई के नाम पर कुछ करना है तो बस पॉलीथिन पकड़ लो या फिर ठेले वालों को हटा दो। उनको कौन हटाएगा जो सालों से सरकारी भूमि को जैसे खुद की मानकर जमे हैं, इन पर कुछ करने की बात पर तो जैसे सांप सूंघ जाता है। कार्मिक तो क्या करेंगे, अधिकारी भी एक दूसरे पर बात डालने की जुगत में लग जाते हैं। नतीजतन शहरवासी पीड़ा भुगत रहे हैं।
शहर की एकमात्र मुख्य सड़क की सफाई नगर परिषद से ठीक से नहीं हो रही हे, तो पूरे शहर की क्या करेंगे। महीनों हो गए, अब तो शायद एक साल से ज्यादा ही हो गया होगा, रेलवे स्टेशन के सामने की तरफ की रोड के बुरे हालात के। यहां गंदगी व कचरे में खड़े ठेले वाले परिषद के कारिंदे को नजर आते हैं, जिनको गाहे-बगाहे यहां से बेदखल जरूर कर दिया जाता है, लेकिन यहां फैली गंदगी शायद इन्हें नजर ही नहीं आती है। लंबे समय बाद भी यहां पूरी तरह सफाई नहीं हो पाई है।
शहर की ये कमियां कहीं उजागर न हो जाए, इसलिए नगर परिषद की साधारण बैठक को पिछले चार महीनों से टाला जा रहा है। पता है कि बैठक होगी तो मुद्दे उठेंगे और बात दूर तक जाएगी, शहर की बिगड़ी सूरत पर बात उठेगी और विकास की योजनाएं भी बतानी होगी। अब यहां तो एक दूसरे पर डालने और टांग खिंचाई से फुर्सत मिले तो कुछ सोचा जाए। जब कुछ सोचा ही नहीं और योजना का खाका भी नहीं खींचा तो बताएंगे क्या, इसलिए बैठक का किसी जिम्मेदार को पूछने पर यही जवाब आता है, तैयारी चल रही है, जल्द ही बैठक बुलाएंगे, लेकिन कब, इंतजार लम्बा ही हो गया है, अब तो शहर के वार्ड से चुने पार्षद ही साधारण बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं, जब शहर का आमजन मुद्दों को लेकर आगे आ गया तो फिर मुहं छिपाने की जगह नहीं मिलेगी, इसलिए जितना जल्दी हो चेत जाओ, नहीं तो जनता छोडऩे वाली नहीं है।
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