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सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की तरफ से दर्ज की गई याचिका की खारिज, आदेश की समीक्षा करने की हुई थी मांग

नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को बिलकिस बानो की तरफ से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। इसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की थी कि वह अपने उस आदेश की समीक्षा करे, जिसके तहत उसने गुजरात सरकार को 1992 की नीति के तहत दोषियों को छूट देने पर विचार के लिए कहा था। इस याचिका से जुड़ा पूरा मामला?

गौरतलब है कि साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। हालांकि, गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा 15 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया। गुजरात सरकार का कहना है कि उसने अपनी सजा माफी नीति के अनुरूप 11 दोषियों को छूट दी है। इन दोषियों को इसी साल 15 अगस्त को जेल से रिहा किया गया। दोषियों को गोधरा उप-जेल में 15 साल से अधिक की सजा काटने के बाद छोड़ा गया है।

दोषियों की इसी रिहाई को चुनौती देते हुए समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। इसमें 13 मई के आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई थी। वहीं बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था।

 

जानें 13 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

बता दें कि 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सजा 2008 में मिली, इसलिए रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कठोर नियम लागू नहीं होंगे। 1992 के नियम ही लागू होंगे जिसके तहत गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था। अब बिलकिस बानो 13 मई के आदेश पर पुनर्विचार की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होंगे गुजरात के नहीं।

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