नई दिल्ली :- 16 नवम्बर को भारत के जी-20 का नया अध्यक्ष बनने के बाद ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द ग्लोबल’ की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। 15 नवम्बर को दुनिया के सबसे प्रमुख 20 देशों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम सब पर नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कोविड और यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई है। ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक जरूरतों की पूर्ति के लिए अहम भूमिका निभाते दिख रहा है।
गौरतलब है कि इन दिनों पूरी दुनिया में चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर ‘मेक फॉर द ग्लोबल’ के लिए भारत को दुनिया के दूसरे नये कारखाने के रूप में चिह्नित किया जा रहा है।
दुनिया के विभिन्न आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोटरे में मेक फॉर ग्लोबल और दुनिया के लिए खाद्यान्न आपूर्ति करने वाले नये देश के रूप में भारत की नई संभावनाएं प्रस्तुत की जा रही हैं। हाल ही में 8 नवम्बर को वैश्विक निवेश फर्म मार्गन स्टेनली के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत के वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं, उसमें भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब और ‘मेक फॉर द ग्लोबल’ की अहम भूमिका होगी।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि चीन के खिलाफ नकारात्मक धारणा बनने से भारत को नया आधार मिल रहा है। दुनियाभर में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी भारत के लिए लाभप्रद है कि भारत सस्ती लागत और कार्य कौशल के मद्देनजर विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ते हुए दिखाई दे रहा है। हाल ही में तीन नवम्बर को प्रकाशित 85 देशों के मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित विभिन्न कारकों का समग्र मूल्यांकन करने वाली विश्व प्रसिद्ध यूएस न्यूज एंड र्वल्ड रिपोर्ट’ 2022 के तहत सस्ते विनिर्माण के मद्देनजर भारत को 100 प्रतिशत अंक दिए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने चीन और वियतनाम को पीछे छोड़ते हुए दुनिया भर में सबसे कम ‘विनिर्माण लागत’ वाले देश का दर्जा हासिल कर लिया है।