नई दिल्ली:- फेसबुक और वॉट्सऐप की मूल कंपनी मेटा ने अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा की ओर रुख किया है। कंपनी ने अमेरिका की न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी कॉन्स्टेलेशन एनर्जी के साथ एक बड़ा समझौता किया है जिसके तहत मेटा को 20 वर्षों के लिए परमाणु ऊर्जा की आपूर्ति की जाएगी।
समझौते के विवरण
इस समझौते के तहत, मेटा को इलिनोइस स्थित कॉन्स्टेलेशन एनर्जी के परमाणु ऊर्जा संयंत्र से 30 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी। इससे न केवल मेटा की एआई जरूरतें पूरी होंगी बल्कि इससे 1,100 स्थानीय नौकरियों को भी बचाया जा सकेगा और वार्षिक कर राजस्व में 13.5 मिलियन डॉलर की वृद्धि होगी। यह संयंत्र वर्तमान में लगभग 800,000 अमेरिकी घरों को बिजली प्रदान करता है।
एआई की बढ़ती बिजली जरूरतें
मेटा के ग्लोबल एनर्जी के प्रमुख उर्वी पारेख ने कहा “स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा प्राप्त करना हमारी एआई महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है।” एआई की बढ़ती बिजली जरूरतों को देखते हुए मेटा ने भविष्य में स्थिर और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह समझौता किया है।
टेक कंपनियों के लिए ऊर्जा की चुनौती
मेटा का यह कदम दिखाता है कि आने वाला दौर न केवल सोशल मीडिया और एआई का होगा बल्कि ऊर्जा और बिजली की जरूरतों को पूरा करने का भी होगा। टेक कंपनियों को अब न केवल अपने उपयोगकर्ताओं की चिंता बल्कि उनके ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स को चलाने के लिए लगातार और स्वच्छ बिजली की भी जरूरत है।
कॉन्स्टेलेशन एनर्जी के लिए लाभ
इस समझौते से कॉन्स्टेलेशन एनर्जी को भी लाभ होगा,l क्योंकि इससे उन्हें 2027 के बाद भी सरकार से मिलने वाली सब्सिडी खत्म होने के बाद भी अपना संयंत्र चलाने में मदद मिलेगी। मेटा की मदद से कॉन्स्टेलेशन एनर्जी का परमाणु ऊर्जा संयंत्र बिना किसी अड़चन के बिजली उत्पादन जारी रख सकेगा।
मेटा का परमाणु ऊर्जा की ओर रुख करना एक बड़ा कदम है, जो टेक कंपनियों के लिए भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के नए रास्ते खोलता है। इससे न केवल मेटा को अपनी एआई जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी बल्कि इससे स्थानीय समुदायों को भी लाभ होगा। यह समझौता टेक और ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है, जहां स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा की मांग बढ़ती जा रही है ।