पटना :- बिहार सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले आम जनता को एक बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर वैट को 29% से घटाकर महज 4% कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक फैसले से न केवल हवाई यात्राएं सस्ती होंगी, बल्कि राज्य के अंदर हवाई संपर्क को भी नया बल मिलेगा।
क्या है ATF और वैट में कटौती का मतलब?
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) वह ईंधन है जिसका उपयोग विमानों में होता है। इस पर राज्य सरकारें अलग-अलग दरों पर वैट लगाती हैं, जो विमानन कंपनियों के ऑपरेशन खर्च को प्रभावित करता है। बिहार में अब तक ATF पर 29% वैट वसूला जा रहा था, जो देश के कुछ सबसे महंगे राज्यों में से एक था।
अब इसे केवल 4% कर दिया गया है, जिससे हवाई कंपनियों को भारी राहत मिलेगी। इसके चलते पटना, गया, दरभंगा जैसे हवाई अड्डों से उड़ान भरना सस्ता हो जाएगा और यात्रियों को कम किराया देना होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
राज्य सरकार का मानना है कि कम टैक्स से एयरलाइंस को बिहार में अधिक उड़ानें शुरू करने की प्रोत्साहना मिलेगी। अब तक ऊंचे टैक्स के कारण कई विमानन कंपनियां बिहार में उड़ानों को सीमित कर रही थीं या किराया अत्यधिक रख रही थीं। इस फैसले से:
टिकट के दाम घटेंगे, जिससे आम लोग भी हवाई यात्रा कर सकेंगे।
पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, खासकर बौद्ध सर्किट (गया, राजगीर, वैशाली आदि) को।
निवेश और व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एविएशन सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय राज्य के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। भारत के कई राज्यों ने पहले ही ATF पर टैक्स घटाकर 1% से 5% कर दिया है, जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, और आंध्र प्रदेश। बिहार का यह फैसला अब इन राज्यों की श्रेणी में लाता है और विमानन कंपनियों को यहां निवेश के लिए आकर्षित करता है।
चुनावी नजरिए से भी अहम
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब बिहार में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में इस कदम को जनता को राहत देने और विकास समर्थक छवि पेश करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
आम लोगों की प्रतिक्रिया
बिहार के विभिन्न शहरों के नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। दरभंगा से दिल्ली, पटना से मुंबई, गया से कोलकाता जैसी रूटों पर किराए में कमी आने की उम्मीद है। छात्र, नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग इसे राहत की नजर से देख रहे हैं।