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मानसून की दस्तक: केरल में मानसून का आगमन, 2009 के बाद सबसे पहले

नई दिल्ली:- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने घोषणा की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है, जो 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर सबसे पहले आगमन है। आमतौर पर मानसून 1 जून तक केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को ढक लेता है।

मानसून की विशेषताएं

मानसून की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे समझने में मदद करती हैं:

– मानसून का आगमन: मानसून का आगमन केरल से होता है और फिर यह पूरे देश में फैलता है।

– वर्षा की मात्रा: मानसून की वर्षा की मात्रा पूरे देश में अलग-अलग होती है, और यह कई कारकों पर निर्भर करती है।

– मानसून का पीछे हटना: मानसून सितंबर के मध्य से उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटने लगता है और अक्टूबर के मध्य तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।

इस साल मानसून की स्थिति

आईएमडी ने अप्रैल में भविष्यवाणी की थी कि इस साल मानसून की वर्षा सामान्य से अधिक होगी। इसका मतलब है कि इस साल अच्छी बारिश होने की संभावना है, जो कृषि और जल संसाधनों के लिए फायदेमंद होगी।

मानसून के आगमन का महत्व

मानसून का आगमन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश की कृषि और जल संसाधनों पर निर्भर करता है। मानसून की अच्छी बारिश से फसलों की पैदावार बढ़ती है और जल संसाधनों की कमी दूर होती है केरल में मानसून का आगमन 2009 के बाद से सबसे पहले हुआ है, जो एक अच्छी खबर है। आईएमडी की भविष्यवाणी के अनुसार, इस साल मानसून की वर्षा सामान्य से अधिक होने की संभावना है, जो देश के लिए फायदेमंद होगी।

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