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अमेरिकी न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन के फैसले को रोका: हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के नामांकन पर लगा प्रतिबंध

वाशिंगटन(अमेरिका):- एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन के उस फैसले को रोक दिया है, जिसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय को विदेशी छात्रों के नामांकन से रोकने की बात कही गई थी। न्यायाधीश एलिसन बरो ने अपने आदेश में कहा कि ट्रंप प्रशासन का यह फैसला असंवैधानिक प्रतिशोध का एक उदाहरण है, जो हार्वर्ड के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत हैl

क्या था मामला?

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रशासन ने विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों के नामांकन पर रोक लगाने का फैसला राजनीतिक कारणों से प्रेरित था। हार्वर्ड ने तर्क दिया कि इस फैसले से विश्वविद्यालय के एक चौथाई छात्र प्रभावित होंगे, जो अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं और विश्वविद्यालय की गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।

न्यायाधीश का आदेश

न्यायाधीश बरो ने अपने आदेश में कहा कि ट्रंप प्रशासन का फैसला हार्वर्ड के छात्रों के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर सकता है, खासकर उन छात्रों के लिए जो अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला हार्वर्ड के लिए एक बड़ी क्षति होगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्र विश्वविद्यालय की विविधता और शैक्षिक माहौल में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं l

हार्वर्ड की प्रतिक्रिया

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने न्यायाधीश के आदेश का स्वागत किया है और कहा है कि यह फैसला विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय के लिए एक बड़ी राहत है। विश्वविद्यालय ने कहा है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ खड़ा है और उनकी शिक्षा और शोध को जारी रखने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अगली कार्रवाई

अब देखना यह है कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील करता है या नहीं। यदि प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं करता है, तो हार्वर्ड विश्वविद्यालय अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को फिर से नामांकन करने की अनुमति दे सकता है। यह मामला अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की भूमिका और महत्व को उजागर करता है l

न्यायाधीश के इस आदेश ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और उसके अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत प्रदान की है। यह मामला अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में विविधता और समावेशिता के महत्व को भी उजागर करता है। अब देखना यह है कि आगे क्या होता है और यह मामला अमेरिकी शिक्षा प्रणाली के भविष्य के लिए क्या संकेत देता हैl

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