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इंडिगो फ्लाइट में ‘मौत जैसा एहसास’: सागरिका घोष ने साझा किया डरावना सफर, पायलट की सूझबूझ से टली अनहोनी

नई दिल्ली :- राजनीति और पत्रकारिता की दुनिया में जानी-पहचानी शख्सियत, TMC सांसद सागरिका घोष ने हाल ही में एक फ्लाइट अनुभव साझा किया, जिसे उन्होंने “मौत जैसा एहसास” बताया। यह घटना उस समय हुई जब वे TMC के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रीनगर की ओर जा रही इंडिगो फ्लाइट में सवार थीं। फ्लाइट ने जैसे ही खराब मौसम की सीमा में प्रवेश किया, वैसे ही विमान के भीतर हलचल शुरू हो गई। आकाश में तेज़ उथल-पुथल, हिचकोले और झटके महसूस हुए, जिससे पूरे विमान में डर का माहौल बन गया।

घोष ने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि कुछ समय के लिए उन्हें लगा कि विमान किसी भी समय दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। उन्होंने लिखा कि फ्लाइट के भीतर ऐसा सन्नाटा छाया था जैसे सभी यात्रियों ने सांस रोक ली हो। हवा में बार-बार डगमगाते विमान और लगातार होते उतार-चढ़ाव ने यात्रियों की धड़कनें बढ़ा दी थीं। कई लोग प्रार्थना करने लगे, कुछ एक-दूसरे का हाथ थामे बैठे रहे।

घटना के दौरान पायलट ने अत्यंत संयम और कुशलता से स्थिति को संभाला। मौसम की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने श्रीनगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया और विमान को सुरक्षित रूप से लैंड करवाने का निर्णय लिया। आखिरकार, सभी यात्रियों के लिए राहत की सांस लेने वाला वह क्षण आया, जब विमान सुरक्षित रूप से ज़मीन पर उतरा

घोष ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आज मौत से सामना हुआ। लेकिन पायलट की साहसिक सूझबूझ और प्रशिक्षित रवैये ने हमें सुरक्षित जमीन पर पहुंचाया। उन्हें मेरा सलाम।” उन्होंने यह भी बताया कि इस घटना ने उन्हें यह याद दिला दिया कि जीवन कितना नाजुक और अप्रत्याशित हो सकता है।

इस घटना के बाद फ्लाइट में मौजूद अन्य यात्रियों ने भी पायलट और क्रू की सराहना की। इंडिगो एयरलाइंस ने भी इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि उनके पायलटों को ऐसे हालातों से निपटने की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है और यात्रियों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है।

यह घटना महज एक डरावना अनुभव भर नहीं है, बल्कि यह याद दिलाती है कि आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित मानव संसाधन के बावजूद प्रकृति के आगे हम कभी-कभी असहाय हो जाते हैं। विमानन क्षेत्र में यह आवश्यक है कि मौसम संबंधी चेतावनियों को समय रहते गंभीरता से लिया जाए और यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय सुनिश्चित किए जाएं।

सागरिका घोष की यह आपबीती उन हजारों यात्रियों के मन में घर कर गई है, जो आए दिन फ्लाइट यात्रा करते हैं। यह एक उदाहरण है कि किस तरह विपरीत परिस्थितियों में मानवीय सूझबूझ और प्रशिक्षण जीवन रक्षक साबित हो सकता है।

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