नई दिल्ली :- दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने इस बार मई महीने में मौसम का अजीब खेल देखा है। बुधवार को राजधानी ने साल का सबसे गर्म दिन झेला, जब तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया और पारा 50.2 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ गया। जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। सड़कें वीरान दिखने लगीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भीड़ कम हो गई और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ती दिखाई दी।
यह तापमान भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों में अब तक के उच्चतम तापमानों में से एक था। इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने न केवल सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, बल्कि बिजली की मांग भी अपने चरम पर पहुंचा दी। एयर कंडीशनर और कूलर पूरे दिन चलने से कई इलाकों में बिजली कटौती की खबरें भी आईं। पानी की किल्लत और लू के थपेड़े लोगों के लिए परेशानी का सबब बने रहे।
लेकिन शाम होते-होते मौसम ने जैसे अपना मिजाज ही बदल दिया। तेज़ हवाओं और धूल भरी आंधी के साथ अचानक तापमान में गिरावट देखने को मिली। एक घंटे के भीतर तापमान लगभग 14 डिग्री तक गिर गया, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। मौसम विभाग के अनुसार, यह बदलाव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और स्थानीय कंवेक्शन के कारण आया, जिसने दिल्ली के वातावरण में अचानक नमी ला दी।
इस अप्रत्याशित बदलाव ने विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (climate change) और वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि के चलते अब मौसम का व्यवहार लगातार अस्थिर होता जा रहा है। कभी अत्यधिक गर्मी तो कभी अचानक बारिश या ओले, यह सभी चरम मौसम की घटनाएं इसी बदलाव का संकेत हैं।
दिल्ली सरकार ने भी हीट वेव से निपटने के लिए कुछ विशेष उपायों की घोषणा की है। स्कूलों में छुट्टियां घोषित की गई हैं, निर्माण कार्यों को सीमित किया गया है और लोगों से अपील की गई है कि वे दोपहर के समय घरों से बाहर न निकलें। साथ ही, अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के मरीजों को त्वरित उपचार मिल सके।
इस तरह का चरम मौसम केवल चेतावनी नहीं, बल्कि एक संकेत है कि हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना आज की आवश्यकता बन चुकी है। वरना आने वाले समय में ऐसे मौसम के झटके और भी खतरनाक हो सकते हैं।