नई दिल्ली :- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। बीजिंग में हाल ही में हुई त्रिपक्षीय बैठक में पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान ने मिलकर CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देने पर सहमति जताई है। इस निर्णय को न सिर्फ दक्षिण एशिया की भौगोलिक राजनीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है, बल्कि भारत के लिए भी यह एक नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है CPEC और क्यों है अहम?
CPEC एक महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजना है जो चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ती है। यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का प्रमुख हिस्सा है और इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका को व्यापारिक रूप से जोड़ना है। इसमें सड़कों, रेलवे, ऊर्जा पाइपलाइनों और आर्थिक जोनों का निर्माण शामिल है।
अफगानिस्तान को जोड़ने का मकसद
अफगानिस्तान को इस परियोजना में शामिल करना चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए कई स्तरों पर फायदेमंद हो सकता है। एक ओर जहां यह क्षेत्र में चीन की पहुंच को और गहरा करेगा, वहीं पाकिस्तान को अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक और रणनीतिक संबंध मजबूत करने का मौका मिलेगा। अफगानिस्तान के लिए भी यह बुनियादी ढांचे और निवेश का नया जरिया बन सकता है, खासकर ऐसे समय में जब वहां की आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है।