भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नया विषय नहीं है, लेकिन हालिया घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को फिर से गरमा दिया है। कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जो जवाब दिया, वह केवल सैन्य क्षमता का प्रदर्शन नहीं, बल्कि कूटनीतिक संदेश भी था। भारत ने आतंकवाद के गढ़ बन चुके पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके जैसे ठिकानों पर 15 ब्रह्मोस मिसाइलों से सटीक हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने लंबे समय से इन शिविरों की निगरानी की थी, जहां जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के आतंकवादी प्रशिक्षित किए जा रहे थे। जैसे ही पहलगाम हमले की पुष्टि हुई, भारत ने बिना समय गंवाए जवाबी कार्रवाई की रणनीति बना ली। इस बार रणनीति में एक नया मोड़ था—डमी विमान का इस्तेमाल।
भारतीय वायुसेना ने पहले सीमा के पास कुछ डमी विमान उड़ाए, जिससे पाकिस्तान को भ्रम हुआ कि भारत केवल हवाई निगरानी कर रहा है। इस जाल में फंसकर पाकिस्तानी रडार और मिसाइल सिस्टम इन डमी विमानों पर केंद्रित हो गए। और तभी भारत ने असली हमला ब्रह्मोस मिसाइलों से किया, जो इतनी तेज़ और सटीक हैं कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिलता।
ब्रह्मोस, जिसे दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल कहा जाता है, ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। इन हमलों में कई आतंकी कमांडर मारे गए और प्रशिक्षण केंद्र पूरी तरह नष्ट हो गए। पाकिस्तान की सेना और सरकार इस हमले को लेकर असमंजस में दिखी और कोई स्पष्ट बयान भी नहीं दे पाई।
यह हमला न केवल भारत की सैन्य शक्ति का परिचायक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब आतंकवाद पर “नो टॉलरेंस” की नीति के साथ आगे बढ़ रहा है। यह संदेश सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए है जो आतंकवाद को शह देते हैं।
इस हमले ने भारतीय जनता के मन में भी विश्वास और गर्व की भावना को मजबूत किया है। भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो वह हर मोर्चे पर जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम है।