नई दिल्ली :- भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में भारतीय सेना द्वारा संचालित किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। चार दिनों तक चले सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि वे भारत के साथ शांति वार्ता को तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव भी लगातार बढ़ रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सुरक्षा बलों ने एलओसी पार कर आतंकवादियों के खिलाफ सटीक और निर्णायक कार्रवाई की थी। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई उन ठिकानों को निशाना बनाकर की गई जहां से लगातार भारत में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें हो रही थीं। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की नींव हिला दी है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत के इस कदम को काफी समर्थन मिला है।
इस घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में हलचल तेज हो गई है। देश के भीतर आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति ने शहबाज शरीफ सरकार को दबाव में ला दिया है। ऐसे में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करना चाहते हैं। युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। हमें क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह बयान असल में कूटनीतिक दबाव और देश के भीतर बढ़ते असंतोष का परिणाम है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और खाड़ी देशों ने भी भारत-पाक तनाव पर चिंता जताई थी और संयम बरतने की अपील की थी। वहीं भारत सरकार का रुख स्पष्ट है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से संचालित हो रहे आतंकी संगठनों पर निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, तब तक किसी भी प्रकार की औपचारिक वार्ता संभव नहीं है। भारत का यह रुख लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से रखा गया है और इसका समर्थन भी मिला है।
वहीं, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने पाकिस्तान की इस शांति की पेशकश पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। परंतु यह तय है कि भारत अपनी नीति और सुरक्षा सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।