नई दिल्ली:- जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने हाल ही में तुर्की से संबद्ध संस्थानों के साथ अपने समझौता ज्ञापन (MoU) को निलंबित कर दिया है। यह निर्णय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) द्वारा इसी तरह के समझौते को निलंबित करने के बाद आया है।
पृष्ठभूमि
जामिया मिलिया इस्लामिया और तुर्की से संबद्ध संस्थानों के बीच समझौता ज्ञापन का उद्देश्य शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था। हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण इस समझौते पर पुनर्विचार किया गया है।
जामिया का निर्णय
जामिया मिलिया इस्लामिया के अधिकारियों ने बताया कि समझौता ज्ञापन को निलंबित करने का निर्णय दोनों देशों के बीच वर्तमान राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर लिया गया है। विश्वविद्यालय ने कहा कि वह अपने शैक्षिक और अनुसंधान कार्यक्रमों को मजबूत बनाने के लिए अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
JNU का निर्णय
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने भी हाल ही में तुर्की से संबद्ध संस्थानों के साथ अपने समझौता ज्ञापन को निलंबित कर दिया है। JNU के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्णय दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और शैक्षिक आदान-प्रदान पर इसके प्रभाव के मद्देनजर लिया गया है।
शैक्षिक आदान-प्रदान पर प्रभाव
इन समझौतों के निलंबन से दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अवसर कम हो सकते हैं और शैक्षिक सहयोग में कमी आ सकती है।
जामिया मिलिया इस्लामिया और JNU द्वारा तुर्की से संबद्ध संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन को निलंबित करने का निर्णय दोनों देशों के बीच वर्तमान राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर इस मुद्दे पर क्या विकास होता है और इसका शैक्षिक आदान-प्रदान पर क्या प्रभाव पड़ता है।