मथुरा (उत्तर प्रदेश):- संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा शिकार होने से बच गई। पदयात्रा के मार्ग पर भक्तों की ओर से भव्य स्वागत की तैयारियां की गई थीं। कई स्थानों पर रंग-बिरंगे स्वागत द्वार, पुष्पवर्षा की व्यवस्था और बड़े-बड़े लोहे के ट्रस लगाए गए थे। इन्हीं में से एक लोहे का ट्रस हादसे का कारण बन गया।
भारी भीड़ में ट्रस का बिगड़ा संतुलन, गिरने ही वाला था
संत प्रेमानंद जैसे ही उस स्थान पर पहुंचे, भीड़ के दबाव से ट्रस का संतुलन बिगड़ गया। वह लोहे का ढांचा संत के एकदम सामने गिरने ही वाला था, जिससे कुछ सेकंड के लिए स्थिति बेहद गंभीर हो गई। अफरा-तफरी मच गई और भक्तों में चीख-पुकार शुरू हो गई।
सतर्क आयोजकों ने थामा ट्रस, टली बड़ी दुर्घटना
हालांकि सौभाग्य से वहां मौजूद कुछ सतर्क आयोजकों और श्रद्धालुओं ने तत्परता दिखाते हुए उस ट्रस को गिरने से पहले ही थाम लिया। इस फुर्ती और सजगता से एक बहुत बड़ा हादसा टल गया और संत प्रेमानंद समेत बाकी सभी श्रद्धालु पूरी तरह सुरक्षित रहे।
घटना के बाद मचा हड़कंप, संत ने दिलाया भरोसा
हादसे के तुरंत बाद यात्रियों में घबराहट फैल गई, लेकिन संत प्रेमानंद महाराज ने स्वयं माइक के माध्यम से सभी को शांत रहने की अपील की और संयम बनाए रखने को कहा। उनके इस व्यवहार से श्रद्धालुओं में फिर से भरोसा लौटा और पदयात्रा को दोबारा शुरू किया गया।
प्रशासन और आयोजकों पर उठे सवाल
इस घटना के बाद श्रद्धालुओं ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारी भीड़ के बावजूद पर्याप्त मजबूत इंतजाम नहीं किए गए थे। लोहे का ट्रस गिरता तो सैकड़ों श्रद्धालु घायल हो सकते थे। स्थानीय प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए आयोजकों को भविष्य में बेहतर प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं।