प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) : सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में घरों को ढहाने की कड़ी निंदा की है, उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने गहरी चिंता जताते हुए लिखा, “इससे हमारी अंतरात्मा को झटका लगा है। आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की कोई चीज होती है।” 🔴 क्या हुआ?
रातों-रात कानून के प्रोफेसर जुल्फिकार और प्रोफेसर अली अहमद सहित कई घरों को ध्वस्त कर दिया गया, जबकि निवासियों को एक रात पहले ही सूचित किया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों ने गलत तरीके से इस जमीन को गैंगस्टर अतीक अहमद का बताया।
एक दिल दहला देने वाला दृश्य
अदालत ने अंबेडकर नगर के एक वायरल वीडियो का हवाला दिया जिसमें एक छोटी लड़की अपनी किताबों को पकड़े हुए थी जबकि बुलडोजर उसके घर को गिरा रहे थे। न्यायमूर्ति भुयान ने कहा, “ऐसे दृश्य लोगों को परेशान करते हैं।”
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने इस विध्वंस को अवैध ठहराया जिसने आदेश दिया कि इस कृत्य से प्रभावित परिवारों को ₹10 लाख का मुआवजा दिया जाए। “नोटिस चिपकाने की यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए।” न्यायाधीशों ने कहा, “लोगों के घरों को नष्ट करने का यह तरीका नहीं है।”
● आश्रय का अधिकार मौलिक है
अदालत ने कहा कि आवास संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूलभूत अधिकारों में से एक है और इस तरह की कार्रवाई घोर असंवेदनशीलता दर्शाती है।