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“साजिश, बेतुका”: जस्टिस वर्मा ने अपने आवास पर नकदी मिलने के आरोपों का खंडन किया

नई दिल्ली:- पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों को “साजिश” और “बेतुका” बताकर पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने इन आरोपों को उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का एक प्रयास बताया है और कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है। यह मामला तब सामने आया जब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की है।

इन रिपोर्टों में यह भी आरोप लगाया गया कि यह नकदी एक कथित घोटाले से जुड़ी हुई है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के करीबी सहयोगी शामिल थे। इन आरोपों के सामने आने के बाद, न्यायमूर्ति वर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने इन दावों को “निराधार” और “गलत” बताया। उन्होंने कहा कि उनके आवास पर कोई छापेमारी नहीं हुई थी और न ही कोई नकदी बरामद हुई थी।

“यह एक दुर्भावनापूर्ण अभियान है जिसका उद्देश्य मेरी प्रतिष्ठा को धूमिल करना है,” न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा। “मैं इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करता हूं और उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा जिन्होंने इन्हें फैलाया है।” न्यायमूर्ति वर्मा ने यह भी कहा कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं और उन्होंने अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जांच में उनकी बेगुनाही साबित होगी।

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल पैदा कर दी है विपक्षी दलों ने सरकार पर न्यायमूर्ति वर्मा को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह किसी भी जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करेगा और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

न्यायमूर्ति वर्मा एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश रहे है जिन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया है। उन्होंने मानवाधिकारों और न्याय के लिए अपने काम के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। इन आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि उनका नाम साफ नहीं हो जाता।

आरोपों का विवरण:

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर छापेमारी की, जहां उन्हें बड़ी मात्रा में नकदी मिली। यह नकदी एक कथित घोटाले से जुड़ी हुई है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के करीबी सहयोगी शामिल थे। ईडी ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच जारी है।

न्यायमूर्ति वर्मा का खंडन:

न्यायमूर्ति वर्मा ने इन आरोपों को “निराधार” और “गलत” बताया है। उन्होंने कहा कि उनके आवास पर कोई छापेमारी नहीं हुई थी और न ही कोई नकदी बरामद हुई थी। उन्होंने इन आरोपों को उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का एक प्रयास बताया है और कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल पैदा कर दी है, विपक्षी दलों ने सरकार पर न्यायमूर्ति वर्मा को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह किसी भी जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

न्यायमूर्ति वर्मा का पृष्ठभूमि:

न्यायमूर्ति वर्मा एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश रहे हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया है। उन्होंने मानवाधिकारों और न्याय के लिए अपने काम के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है।

आगे की कार्रवाई:

न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा है कि वह अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि उनका नाम साफ नहीं हो जाता। उन्होंने अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच करने का आग्रह किया है।यह मामला अभी भी जांच के अधीन है और यह देखना बाकी है कि इसका क्या परिणाम निकलता है।

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