इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) : इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले ने पूरे देश में खलबली मचा दी है। कोर्ट ने कहा था कि लड़की के स्तन को छूना और उसके पायजामे की डोरी खींचना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का मामला नहीं बनता बल्कि यह एक कम गंभीर मामला है, न कि हमला।
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यह फैसला इस बात के खिलाफ है कि लोग देश में कहीं भी स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं या नहीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की और चेतावनी दी कि इस तरह के फैसले से समाज में एक परेशान करने वाला संदेश फैल सकता है।
राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी फैसले की आलोचना करते हुए पूछा कि बच्चों के खिलाफ अपराधों के बारे में यह क्या कहता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा, “यह बलात्कार कैसे नहीं है? यह एक शर्मनाक और सरासर गलत बात है।”
यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 साल की बच्ची से जुड़ा है जिस पर 2021 में दो लोगों ने हमला किया था। उन्होंने उसे पकड़ लिया, उसके पजामे की डोरी फाड़ दी और उसे पुलिया के नीचे ले जाने की कोशिश की और जब लोग मदद के लिए आगे आए तो वे भाग गए। सीपीआई नेता डी राजा ने इस फैसले को “यौन हिंसा को कमतर आंकने वाला” बताते हुए कहा कि यह हमारे संस्थानों के पीछे गहरी जड़ें जमाए बैठी पितृसत्ता का प्रतिबिंब है।
अब कई लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसे सही कर सकता है।