नई दिल्ली:- वैश्विक व्यापार में एक नया मोड़ आया है, जिसमें भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश संरक्षणवादी नीति की ओर बढ़ रहे हैं। यह नीति विदेशी व्यापार और निवेश को सीमित करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
भारत की संरक्षणवादी नीति
भारत ने हाल के वर्षों में संरक्षणवादी नीति की ओर बढ़ना शुरू किया है। सरकार ने विदेशी व्यापार और निवेश को सीमित करने के लिए कई नीतियों और कानूनों को लागू किया है। इनमें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव विदेशी व्यापार समझौतों की समीक्षा और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को शुरू करना शामिल है।
वियतनाम और इंडोनेशिया की संरक्षणवादी नीति
वियतनाम और इंडोनेशिया ने भी संरक्षणवादी नीति की ओर बढ़ना शुरू किया है। वियतनाम ने विदेशी व्यापार और निवेश को सीमित करने के लिए कई नीतियों और कानूनों को लागू किया है जबकि इंडोनेशिया ने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को शुरू किया है।
संरक्षणवादी नीति के प्रभाव
संरक्षणवादी नीति के कई प्रभाव हो सकते हैं। इनमें विदेशी व्यापार और निवेश में कमी, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलना और रोजगार के अवसरों में वृद्धि शामिल हो सकते हैं। हालांकि संरक्षणवादी नीति के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे कि विदेशी व्यापार और निवेश में कमी से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना।
भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश संरक्षणवादी नीति की ओर बढ़ रहे हैं। यह नीति विदेशी व्यापार और निवेश को सीमित करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। संरक्षणवादी नीति के कई प्रभाव हो सकते हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सावधानी से विचार करना आवश्यक है।