चेन्नई (तमिलनाडु) : चेन्नई की एक अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में कोटक महिंद्रा बैंक को झूठी गवाही देने का दोषी पाया और एक ग्राहक से ऋण पर अधिक पैसे वसूलने के लिए उस पर ₹1.5 लाख का जुर्माना लगाया। अदालत ने तीसरे आरोपी बैंक के कानूनी प्रमुख एस कार्तिकेयन को भी अदालत को गुमराह करने के लिए तीन महीने की जेल की सजा सुनाई।
यह मामला 2006 में आर सेल्वाराज द्वारा लिए गए ऋण से संबंधित है जिसे बाद में ₹1.7 करोड़ चुकाने के एक साल बाद बंद कर दिया गया था। लेकिन उनके ऑडिटर ने विसंगतियां पाईं और बैंक ने कथित तौर पर आरोपों का विस्तृत विवरण देने से इनकार कर दिया।
न्याय की तलाश में सेल्वाराज ने मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिस पर कोटक ने आरोपों का विरोध किया। लेकिन 2012 में गहन जांच के बाद अदालत ने फैसला सुनाया कि बैंक ने गलत तरीके से 14.3 लाख रुपये वसूले थे जिसे बाद में वापस कर दिया गया।
2023 में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को बैंक के खिलाफ झूठी गवाही के मामले पर विचार करने का आदेश दिया जिसके परिणामस्वरूप मंगलवार को यह फैसला आया। फैसले के बाद सेल्वराज ने कहा, “मैंने इतने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी और के साथ ऐसा हो।”