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मैड ओवर डोनट्स का जीएसटी मामला: 24 मार्च को होगी सुनवाई

मुंबई (महाराष्ट्र):- मुंबई हाई कोर्ट 24 मार्च को मैड ओवर डोनट्स (एमओडी) के 100 करोड़ रुपये के टैक्स विवाद पर सुनवाई करने जा रहा है। यह मामला फूड और बेवरेज इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है क्योंकि इसमें यह तय किया जाएगा कि रेस्टोरेंट और बेकरी सेवाओं को जीएसटी के तहत कैसे वर्गीकृत किया जाना चाहिए।

इस मामले में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) ने एमओडी को एक कंसोलिडेटेड कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग की गई थी। यह मांग जीएसटी फ्रेमवर्क के तहत एमओडी के डोनट्स की सप्लाई के वर्गीकरण पर आधारित थी।

विवाद का कारण

विवाद इस बात पर है कि डोनट्स की सप्लाई को सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई माना जाए या एक अलग टैक्सेबल प्रोडक्ट के तौर पर काउंट किया जाए। एमओडी ने इसे सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई के रूप में वर्गीकृत किया जबकि टैक्स अधिकारियों ने इसे माल की सप्लाई माना।

नियम क्या कहता है?

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत खाद्य या अन्य खाद्य वस्तुओं की सप्लाई, सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई के रूप में पात्र है। सीजीएसटी अधिनियम के शेड्यूल II की एंट्री नंबर 6(ए) में कहा गया है कि वर्क कॉन्ट्रैक्ट जैसी कंपोजिट सप्लाइज को सर्विसेज की सप्लाई माना जाएगा।

फैसले का महत्व

इस मामले में आने वाले फैसले का फूड और बेवरेज इंडस्ट्री पर दूरगामी असर पड़ सकता है। यदि अदालत एमओडी के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो यह फूड और बेवरेज इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।

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