रायसेन (मध्य प्रदेश): होली का त्योहार पूरे देश में अनूठी परंपराओं के साथ मनाया जाता है लेकिन मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुछ गांवों में इसे मनाने का तरीका बेहद अलग और अद्भुत है। यहां के महगवा, चंद्रपुरा और सेमरा गांवों में लोग धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से गांव पर कोई आपदा या बीमारी नहीं आती और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
500 सालों से चली आ रही परंपरा
महगवा गांव में यह परंपरा लगभग 500 सालों से चली आ रही है जबकि चंद्रपुरा में इसे 15 साल पहले शुरू किया गया था। सेमरा गांव में भी यह परंपरा 150 सालों से निभाई जा रही है। होलिका दहन के बाद रात में ग्रामीणों का हुजूम जलते अंगारों पर चलता है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष सभी बिना किसी डर और झिझक के इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनते हैं।
हजारों श्रद्धालु होते हैं साक्षी
हर साल इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए आसपास के कई गांवों और जिलों से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। महगवा गांव के चौराहे पर विशेष पूजा-अर्चना और विधि-विधान के बाद होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद ग्रामीणों का समूह अंगारों पर चलने के लिए आगे बढ़ता है।
क्यों नहीं जलते ग्रामीणों के पैर?
यह प्रश्न सभी के मन में उठता है कि इतनी तेज़ आग और जलते हुए अंगारों पर चलने के बावजूद किसी के पैर क्यों नहीं जलते? ग्रामीण इसे आस्था और देवी-देवताओं की कृपा मानते हैं। उनका विश्वास है कि शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ अंगारों पर चलने से कोई हानि नहीं होती।
परंपरा में बढ़ रही आस्था
बीते कुछ वर्षों में इस अनूठी परंपरा को देखने और इसमें शामिल होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस साल भी हजारों श्रद्धालु इस दृश्य के साक्षी बने और कई लोगों ने इस अद्भुत अनुभव को अपने कैमरों में कैद किया।
होली की इस अनूठी परंपरा ने मध्य प्रदेश के इन गांवों को देशभर में एक अलग पहचान दी है। यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं बल्कि गांववालों की आस्था, विश्वास और परंपरा की शक्ति का प्रतीक है।