नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 20% तक कम करने की योजना तैयार की है। यह कदम सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंडों का पालन करने के लिए उठाया जा रहा है।
पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पहचान
सरकार ने अभी तक इन पांच बैंकों की पहचान नहीं की है लेकिन यह माना जा रहा है कि ये बैंक वे होंगे जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 75% से अधिक है।
हिस्सेदारी बेचने के लिए दो विकल्प
सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रही है ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी)। ओएफएस में सरकार अपने शेयरों को खुले बाजार में बेचेगी जबकि क्यूआईपी में यह संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचेगी।
यह कदम क्यों उठाया जा रहा है?
सरकार ने यह कदम सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंडों का पालन करने के लिए उठाया है। सेबी के नियमों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
क्या होगा इस कदम का प्रभाव?
इस कदम का कई तरह से प्रभाव पड़ेगा:
–सरकार को राजस्व प्राप्त होगा: सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्व प्राप्त करेगी।
–बैंकों में सुधार होगा: हिस्सेदारी बेचने से बैंकों में सुधार होगा और वे अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
–निजीकरण की दिशा में कदम: यह कदम निजीकरण की दिशा में एक कदम हो सकता है।