दिल्ली : दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र बिल्कुल भी नीरस नहीं रहा। नई सरकार के शपथ लेने के तुरंत बाद भाजपा ने माहौल बनाने में कोई समय बर्बाद नहीं किया और लंबे समय से लंबित 14 CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट पेश कीं जिसके बारे में उसने दावा किया कि उसने पिछली AAP सरकार की कमियों को समझा है। इनमें राज्य के वित्त, वाहन प्रदूषण, शराब कानून और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मामले शामिल हैं।
सत्र की शुरुआत होते ही विपक्ष के नेताओं ने बातचीत शुरू होने से पहले ही अपनी आवाज बुलंद कर दी। आज की कार्यवाही का मुख्य आकर्षण क्या रहा? आतिशी और गोपाल राय सहित AAP के कई वरिष्ठ नेताओं का निलंबन जो सदन में तीखी बहस में शामिल थे।
भाजपा नेताओं का कहना है कि आप सरकार इन रिपोर्टों को दबाए बैठी है और पारदर्शिता और जवाबदेही का दिखावा करते हुए उन्हें सार्वजनिक करने से इनकार कर रही है। उनका कहना है कि ये ऑडिट पिछले प्रशासन की “विपत्तियों” को उजागर करेंगे। यह मामला नया नहीं है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले भी देरी से आई रिपोर्टों को लेकर आप सरकार को आड़े हाथों लिया था और इस पर चर्चा करने के लिए पिछले साल दिसंबर में विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया था। रेखा गुप्ता (भाजपा की) मुख्यमंत्री के रूप में आक्रामक हैं जबकि विजेंद्र गुप्ता (भाजपा के) ने सदन में व्यवस्था बनाए रखी रेखाएँ स्पष्ट हैं। यह देखना बाकी है कि भाजपा इन रिपोर्टों का उपयोग आप को घेरने के लिए कैसे करती है और सत्र के आगे बढ़ने के साथ दिल्ली के शासन के लिए इसका क्या मतलब है।