नई दिल्ली:- एयरो इंडिया 2025 में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे दो विमान – अमेरिका का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट और रूस का सुखोई-57। इस बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान देते हुए भारत को F-35 लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत अपने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और AMCA प्रोजेक्टपर तेजी से काम कर रहा है।
भारत को क्यों बेचना चाहता है अमेरिका?
अमेरिका के इस प्रस्ताव के पीछे व्यापार, रक्षा साझेदारी और रूस पर दबाव बनाने की रणनीति छिपी है। ट्रंप पहले भी भारत के साथ बड़े सैन्य सौदों की बात कर चुके हैं जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन बेहतर हो सके। दूसरी ओर रूस ने भी भारत को सुखोई-57 की पेशकश की है, जिससे अमेरिका की चिंता और बढ़ गई है।
क्या भारत के लिए फायदेमंद है यह डील?
F-35 दुनिया का सबसे आधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट है जो दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम है। यह 2200 किमी तक मार करने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और मल्टीरोल मिशन में माहिर है। हालांकि 80 मिलियन डॉलर (करीब 660 करोड़ रुपये) प्रति विमान की लागत और 36,000 डॉलर प्रति उड़ान घंटे का खर्च इसे बेहद महंगा सौदा बना सकता है।
डील पर क्या फंस सकता है पेंच?
1. स्वदेशी लड़ाकू विमान AMCA: भारत अपने 5वीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट पर काम कर रहा है जिसमें फ्रांस और रूस की मदद मिल रही है। ऐसे में विदेशी जेट पर निर्भरता कम करने की रणनीति अपनाई जा सकती है।
2. रूस से संबंध: भारत का रूस से रक्षा सहयोग गहरा है। अमेरिका को आशंका है कि F-35 की तकनीक रूस तक लीक हो सकती है जैसा कि तुर्किये के मामले में हुआ था।
3. तकनीक ट्रांसफर पर सहमति नहीं: भारत ‘मेक इन इंडिया’ के तहत डील चाहता है लेकिन अमेरिका तकनीक ट्रांसफर के लिए तैयार नहीं होगा।
क्या भारत खरीदेगा F-35?
भारत अभी 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की तैयारी में है। इसमें F-15EX, राफेल, यूरोफाइटर टाइफून F-21 और ग्रिपेन जैसे विमान शामिल हैं। हालांकि F-35 को लेकर मोदी सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अगर भारत ने यह सौदा किया तो यह एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है लेकिन महंगी कीमत और तकनीकी शर्तें इस डील को मुश्किल बना सकती हैं। अब देखना होगा कि भारत इस सौदे को लेकर क्या फैसला लेता है!