कानपुर (उत्तर प्रदेश):- पांच साल बाद एक बार फिर कानपुर के पान मसाला कारोबारी एसएनके ब्रांड पर आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों का शिकंजा कस गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि समूह ने न केवल आयकर बल्कि जीएसटी की भी बड़े पैमाने पर चोरी की थी। करोड़ों के लेन-देन कच्चे कागजों पर किए जाते थे, जिन्हें बाद में नष्ट कर दिया जाता था। सप्लायरों को इनका अलग-अलग हिसाब रखने के निर्देश थे ताकि गड़बड़ी पकड़ में न आए।
फॉरेंसिक टीम ने खोले कई राज
दिल्ली से आई फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटरों का डेटा रिकवर किया जिससे कर चोरी की परतें खुलती चली गईं। कारोबारी लेन-देन और आपसी बातचीत को जांच से पहले ही डिलीट कर दिया जाता था लेकिन रिकवरी के बाद फर्जी लेन-देन का बड़ा जाल सामने आया।
ई-वे बिल का दुरुपयोग, एक बिल से चार बार ट्रांजैक्शन
जांच में पाया गया कि कारोबारियों ने ई-वे बिल का दुरुपयोग कर एक ही बिल का इस्तेमाल चार-चार बार किया। इस तरह करोड़ों की जीएसटी चोरी की गई। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस मामले में कई सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी के दस्तावेज सामने आ सकते हैं।
बोगस कंपनियों के नाम पर अरबों का घोटाला
समूह ने कर्मचारियों और घरेलू नौकरों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर अरबों रुपये का लेन-देन किया। 2018 में भी जब इस समूह पर छापा पड़ा था तब 115 बोगस कंपनियों के जरिए 80 करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई थी।
रियल एस्टेट में काले धन का निवेश
इस पान मसाला समूह का बड़ा निवेश रियल एस्टेट सेक्टर में भी पाया गया है। कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में मॉल, रिसॉर्ट और बड़े प्रोजेक्टों में यह पैसा लगाया गया।
सुपारी-तंबाकू कारोबार से जुड़े अन्य ब्रांड भी जांच के घेरे में
जांच एजेंसियों ने पाया कि तंबाकू, सुपारी, सुगंध और ट्रांसपोर्ट से जुड़े कई अन्य ब्रांड भी इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। अब अन्य सप्लायरों और ब्रांडों पर भी विभाग की नजरें टिकी हैं।
पांच साल में दूसरी बार रेड, अब क्या होगा?
आयकर विभाग ने पांच साल पहले भी इस समूह पर कार्रवाई की थी और इतने कम समय में दोबारा रेड पड़ने का यह पहला मामला है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।